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ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधाओं में भारी अंतर

रांची : राज्य में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लोगों को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं में भारी अं

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 02:14 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 02:14 AM (IST)
ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधाओं में भारी अंतर

रांची : राज्य में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लोगों को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं में भारी अंतर है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के सूचकांकों (इंडीकेटर) में बड़े अंतर से यह स्पष्ट हो रहा है। बुधवार को आरसीएच नामकोम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव सह राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के निदेशक सीके मिश्रा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई। इस कमी को पाटने के लिए उन्होंने कार्य योजना तैयार करने, अलग-अलग क्षेत्रों का विश्लेषण कर खराब प्रदर्शन करनेवाले क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाने तथा मानिट¨रग तेज करने का निर्देश राज्य के अधिकारियों को दिया। योजना के क्रियान्वयन में सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि इसमें राशि की कमी होने नहीं दी जाएगी।

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निदेशक ने जननी सुरक्षा कार्यक्रम तथा जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में सहिया व लाभार्थियों को समय पर भुगतान नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए इसमें सुधार लाने व बकाया का भुगतान मिशन मोड में कैंप लगाकर करने का निर्देश दिया। उन्होंने अस्पतालों में हर हाल में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने, ममता वाहन को 102 टॉल फ्री नंबर से जोड़ने, सभी सदर अस्पतालों व रेफरल यूनिट में ब्लड बैंक की स्थापना करने का निर्देश भी दिया। परिवार कल्याण कार्यक्रमों की सुस्त प्रगति पर इसके व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने राज्य में टीकाकरण की दर 77 फीसद पहुंचने की सराहना भी की। संताल के चार जिलों में कालाजार को खत्म करने के लिए रणनीति बनाने को कहा। इससे पहले केंद्रीय अधिकारियों की टीम ने गुमला का दौरा कर वहां के स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में आई बातों का यहां प्रजेंटेशन दिया गया। इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य सचिव के विद्यासागर, अभियान निदेशक आशीष सिंहमार, उपसचिव राम कुमार सिन्हा, निदेशक प्रमुख डा. सुमंत मिश्रा, निदेशक प्रमुख-खाद्य डा. प्रवीण चंद्रा आदि उपस्थित थे। बैठक के बाद अधिकारियों ने आरसीएच परिसर में पौधरोपण भी किया।

गिनाई ये कमियां :

-सहिया व लाभुकों को समय पर भुगतान नहीं।

-सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव काफी कम।

-परिवार कल्याण कार्यक्रमों की सुस्त गति।


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