तीन जिलों के एसपी को मानवाधिकार आयोग ने किया तलब
राज्य ब्यूरो, रांची : मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों में बार-बार स्मार पत्र देने के बाद भी जिल
राज्य ब्यूरो, रांची : मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों में बार-बार स्मार पत्र देने के बाद भी जिलों के एसपी राज्य मानवाधिकार आयोग को जांच प्रतिवेदन नहीं दे रहे हैं। इसे आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति नारायण राय ने गंभीर माना है। उन्होंने चार मामलों में तीन जिलों गढ़वा, सरायकेला और गिरिडीह के एसपी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है। कहा है कि अगर वे किसी वजह से हाजिर नहीं होते हैं तो किसी सक्षम डीएसपी को जांच प्रतिवेदन और वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए भेजें।
----------
इन मामलों में नहीं मिली रिपोर्ट :
केस : एक
चौकीदार पति को थानेदार कर रहे प्रताड़ित :
गढ़वा जिले के नगर ऊंटारी थाना में पदस्थापित चौकीदार ललन राम की पत्नी कामोदा देवी ने राज्य मानवाधिकार आयोग से 21 मई 2014 को शिकायत की थी। कहा था कि नगर ऊंटारी के थानेदार आनंद कुमार झा उनके पति को मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। उनके पति पर आरोप लगाया जाता है कि थाने के पूर्व थानेदार सतीश मिश्रा को तीन हजार रुपये लेते हुए निगरानी ब्यूरो टीम से पकड़वाया था। पति की स्थिति यह है कि वे कभी भी आत्महत्या कर सकते हैं। मामले में आयोग ने संज्ञान लेते हुए 27 मई 2014 को गढ़वा एसपी से चार सप्ताह में जांच प्रतिवेदन देने को कहा था। लेकिन रिपोर्ट अब तक नहीं मिली। आयोग ने एसपी या उनके नहीं आने पर सक्षम डीएसपी को व्यक्तिगत तौर पर 18 अगस्त 2015 को हाजिर होने का आदेश दिया है।
---------
केस : दो
बेटी का अपहरणकर्ता देता है धमकी :
सरायकेला-खरसावां के सदर थाना क्षेत्र निवासी सरस्वती महतो ने आयोग में जून 2014 में शिकायत की थी। कहा था कि उनकी बेटी प्रियंका का अपहरण 20 जुलाई 2012 को सुमित चक्रवर्ती ने शादी के उद्देश्य से कर लिया था। जबकि खुद सुमित देह व्यापार के धंधे में लिप्त है। जब उन्होंने बेटी के मोबाइल पर फोन किया था तो अपहरणकर्ताओं ने प्रियंका को जान से मारने की धमकी दी। इसमें सुमित का साथी पोटका पंप रोड, चक्रधरपुर, चाईबासा निवासी दिलीप महतो भी शामिल है। मामले में आयोग ने संज्ञान लेते हुए 20 जून 2014 को सरायकेला एसपी से चार सप्ताह में जांच प्रतिवेदन देने का आदेश दिया था। लेकिन रिपोर्ट अब तक नहीं मिली। इसलिए आयोग ने एसपी सरायकेला को खुद या उनके सक्षम डीएसपी को रिपोर्ट और वस्तु स्थिति की जानकारी के साथ 21 जुलाई 2015 को हाजिर होने का आदेश दिया था।
-------------
केस : तीन
शराब नहीं पिलाने पर पुलिस ने पीटा :
गिरिडीह जिले के तिसरी थाना क्षेत्र अंतर्गत चकदो, किशुटांड़ निवासी बालेश्वर प्रसाद यादव ने आयोग से शिकायत की थी। कहा था कि 02 मई 2014 को बेटी की शादी के मौके पर उन्होंने भोज का आयोजन किया था। इसी क्रम में वहां पर तिसरी थाने के तत्कालीन थानेदार अन्य पुलिसकर्मियों के साथ वहां पहुंचे। उन्होंने सभी को भोजन कराया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उनसे शराब की मांग की। शराब मुहैया नहीं कराने पर मारपीट की और गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए। वहां भी पीटा। काफी गिड़गिड़ाने और दो हजार रुपये देने के बाद पुलिस ने उन्हें थाने से जाने दिया। मामले में संज्ञान लेते हुए आयोग ने 23 मई 2014 को गिरिडीह एसपी से चार सप्ताह में जांच प्रतिवेदन देने का आदेश दिया। आयोग को रिपोर्ट अब तक नहीं मिला है। मामले में आयोग ने गिरिडीह एसपी को व्यक्तिगत तौर पर या सक्षम डीएसपी को जांच प्रतिवेदन के साथ 27 जुलाई 2015 को हाजिर होने का आदेश दिया है।
---------------
केस : चार :
घर तोड़ने से रोका तो पुलिस ने किया अत्याचार :
गिरिडीह जिले के गावां थाने की पुलिस के खिलाफ शंका निवासी संजय लोहार ने आयोग से शिकायत की थी। कहा था कि अंजरा गांव में उसने नया मकान बनवाया है। गावां थाना के तत्कालीन थानेदार और अन्य पुलिसकर्मी 25 अगस्त 2014 को एसके घर पर पहुंचे और बिना बोले घर तोड़ना शुरू कर दिया। इस बाबत पूछने पर पुलिस ने उनके 70 साल के चाचा के साथ मारपीट की और थाने में ले जाकर हाजत में बंद कर दिया। उनको छोड़ने के एवज में 10 हजार रुपये की मांग की। इस पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने 19 सितंबर 2014 को गिरिडीह एसपी से चार सप्ताह में जांच प्रतिवेदन देने को कहा था। लेकिन रिपोर्ट नहीं मिली। इस पर आयोग ने गिरिडीह एसपी या उनके सक्षम डीएसपी को मामले में जांच प्रतिवेदन के साथ 27 जुलाई 2015 को हाजिर होने का आदेश दिया है।