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डिजिटल इंडिया के दौर में लस्त-पस्त बीएसएनएल

रांची : कनेक्शन 3जी का और स्पीड 2जी के बराबर भी नहीं। बीएसएनएल मोबाइल की स्थिति कुछ ऐसी ही है। डिजि

By Edited By: Published: Thu, 02 Jul 2015 01:39 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2015 01:39 AM (IST)
डिजिटल इंडिया के दौर में लस्त-पस्त बीएसएनएल

रांची : कनेक्शन 3जी का और स्पीड 2जी के बराबर भी नहीं। बीएसएनएल मोबाइल की स्थिति कुछ ऐसी ही है। डिजिटल इंडिया की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कर तो दी, लेकिन झारखंड में बीएसएनएल की स्थिति लस्त-पस्त है।

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नए आंकड़ों के मुताबिक करीब 2 हजार से अधिक लैंडलाइन कनेक्शन पिछले तीन महीने से ठप हैं। इसमें से आधे से भी अधिक ग्राहक बीएसएनएल की सेवा से त्रस्त होकर लैंडलाइन को सरेंडर करना चाह रहे हैं। दूसरी ओर 2014-15 में करीब 242 लैंडलाहन ग्राहकों ने अपने कनेक्शन को सरेंडर किया था।

लैंडलाइन की राह पर मोबाइल सेवा भी है। कॉल ड्राप। नेटवर्क न मिलना और रूट व्यस्त का अंतहीन सिलसिला जारी है। बीएसएनएल यानी भाई साहब नहीं लगेगा का जुमला जारी है। राची जिला दूरसंचार की मोबाइल कनेक्शन क्षमता 5 लाख 63 हजार है। जबकि, ग्राहकों की संख्या 3 लाख 70 हजार है। दूसरी ओर हर दिन करीब 60 से 70 हजार लोड अन्य शहरों से रांची के टावर पर पड़ता है। देखने में तो क्षमता अधिक है, लेकिन तकनीक थोड़ी पुरानी है। शहर में 140 से भी अधिक टावर है, लेकिन एक साथ शायद ही सभी चलते हैं। अपनी व्यवस्था से बीएसएनएल खुद परेशान है। हालांकि मोबाइल सेवा को दुरुस्त करने के लिए योजना बन कर तैयार है। करीब 1400 नया बीटएस बीएसएनएल लगाएगा, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा होने में दो से तीन साल का समय लग सकता है।

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1 साल में कटे 30 बार फाइबर

नेटवर्क की समस्या में सड़क निर्माण भी रोल अदा कर रहा है। पिछले एक साल में पटना-रांची हाइवे के बीच निर्माण के दौरान करीब 30 बार फाइबर नेटवर्क तार कटा है। कटने पर उसे स्टोर करने में कम से कम पांच से छह घंटे का समय लग जाता है। प्रभावित पूरा प्रदेश होता है।

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छह महीने के अंदर लैंडलाइन और मोबाइल सेवा में बदलाव हो जाएगा। इस ओर कार्य किया जा रहा है।

केके त्रिपाठी, सीजीएम, बीएसएनएल, झारखंड टेलीकॉम सर्किल

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