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वोट डाल सकेंगे झाविमो से भाजपा में आए छह विधायक

रांची : हाईकोर्ट ने जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें फिलहाल किसी भ

By Edited By: Published: Thu, 02 Jul 2015 01:39 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2015 01:39 AM (IST)
वोट डाल सकेंगे झाविमो से भाजपा में आए छह विधायक

रांची : हाईकोर्ट ने जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें फिलहाल किसी भी प्रकार का राहत देने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की बेंच ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आज जब राज्यसभा चुनाव के लिए दो जुलाई को मत डाले जाने हैं तो हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्पीकर के आदेश पर रोक लगाने की मांग किया जाना सही नहीं है। बारह फरवरी को आदेश होने के बाद भी जून में याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता, जो स्वयं राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्हें स्पीकर के आदेश के परिणामों का पता होना चाहिए था।

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विदित हो कि राज्यसभा चुनाव के लिए पंद्रह जून को अधिसूचना जारी की गई थी। अदालत ने स्पीकर, चुनाव आयोग और बागी सभी छह विधायकों को चार हफ्ते में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से वरीय अधिवक्ता और महाधिवक्ता विनोद पोद्दार की ओर से कहा गया कि याचिका स्वीकार योग्य नहीं है। उनकी ओर से इस बात का आवेदन दायर किया जाएगा। अदालत ने इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया।

बाबूलाल मरांडी की ओर से कहा गया कि 12 फरवरी को स्पीकर ने प्रथम दृष्टया विलय की मंजूरी दी है, जो गलत है। यदि सही तरीके से संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए कई आदेशों पर गौर किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि स्पीकर का आदेश गलत है। दो जुलाई को राज्यसभा चुनाव होना है। उसमें मतदान करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी सूची के अनुसार ही मतदान करने का आदेश देने की मांग की गई जिसमें जेवीएम के आठ विधायक दिखाए गए हैं। जबकि उसके उलट स्पीकर ने जो सूची जारी की है उसमें जेवीएम के मात्र दो और भाजपा के 43 विधायक दिखाए गए हैं। कहा गया कि स्पीकर के समक्ष आदेश पारित करने के पूर्व ही प्रार्थी की ओर से पत्र जारी कर बागी छह विधायकों के पार्टी से निलंबन की बात कहते हुए सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई थी। प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने पक्ष रखते हुए यहां तक कहा कि यदि विधायक मत देते हैं तो उन्हें जेवीएम के एजेंट को दिखाकर मत देने का आदेश दिया जाए क्योंकि अब तक विलय की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।


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