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आदतें बदलीं, हालात बदल रहे

बेड़ो : पढ़ लिखकर प्रमाणपत्र जुटाना और सुशिक्षित होने का फर्क कोई बेड़ो की महिलाओं से सीखे। इनके पास प

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 02:14 PM (IST)
आदतें बदलीं, हालात बदल रहे

बेड़ो : पढ़ लिखकर प्रमाणपत्र जुटाना और सुशिक्षित होने का फर्क कोई बेड़ो की महिलाओं से सीखे। इनके पास प्रमाणपत्र भले ही न हों, इनकी शिक्षा ने समाज को बदलकर रख दिया है। बेड़ो प्रखंड के मकुंदा गांव में चार माह पहले शुरू हुए नशामुक्ति अभियान ने सुशिक्षित समाज के निर्माण को एक नए शिखर पर पहुंचा दिया है। हमारे सामने एक नया सूरज, नया सवेरा, नया समाज नजर आने लगा है। एक नई संभावना जन्म लेने लगी है। महिलाओं ने दिखा दिया कि यदि वे ठान लें, तो क्या नहीं कर सकतीं।

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गांव-गांव तक पहुंचा यह अभियान समाज सुधार क्रांति को जन्म दे रहा है। अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। बेड़ो थाना क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में 50 प्रतिशत की कमी आ गई है। प्रतिदिन दो-तीन सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ शराब पीकर वाहन चलाने के कारण होती थीं, पर पिछले एक माह के दौरान सड़क दुर्घटना का केवल एक ही मामला सामने आया है। हड़िया और शराब की लत के कारण पारिवारिक झगड़े और घरेलू कलह आम बात थी। प्रत्येक पांचवां घर इसका शिकार था। अब इसमें कमी आ गई है। शराब के नशे से मुक्ति मिली, तो अब लोगों ने मुख्यधारा से जुड़कर अपने बाल-बच्चों के भविष्य को गढ़ने में अपनी भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। यह एक बहुत अच्छे बदलाव का संकेत है। जो पुरुष शराब के नशे में दिन भर डूबा रहता था, वह अब रोजगार की ओर अग्रसर हो गया है। महिलाओं द्वारा काम कर प्रतिदिन एक-एक रुपये जोड़कर जमा की गई उनकी जमा पूंजी अब सुरक्षित होने लगी है। दो दिसंबर को बेड़ो, लापुंग समेत अन्य प्रखंडों के ग्रामीण इलाकों में लोकतंत्र के पर्व चुनाव के अवसर पर नशामुक्ति अभियान का बड़ा गहरा असर देखा गया। न कहीं कोई शराब बिका और न शराब पीकर मतदान किया।

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अभियान में इनकी भूमिका रही सराहनीय

सरना प्रार्थना सभा, सरना सनातन संस्कृति वैदिक धर्मरक्षा संघ के बैनर तले बेड़ो प्रखंड के पुरियो, फादिल मार्चा, हरिहरपुर जामटोली, नवाटोली, मकुन्दा, तुतलो, दिघिया, तुको, खुखरा, केशा, जरिया, कटरमाली, मासु मुड़ामु, टेरो मुरतो, ईटाचिल्द्री समेत अन्य गांवों में नशा उन्मूलन अभियान पूरी ताकत के साथ चलाया गया। प्रत्येक गांव की महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मकुन्दा गांव में क्षेत्रीय नशामुक्ति उन्मूलन समिति बेड़ो प्रखंड के अध्यक्ष व समाजसेवी हीरामुनी बाड़ा, समिति की सचिव कोटपाली निवासी बेला उरांव, मकुंदा की सुशीला ¨मज, तुतलो की सुनीता उरांव, नरकोपी की आंगनबाड़ी सेविका कल्याणी उरांव समेत अन्य लोगों ने सरना प्रार्थना सभा के साथ मिलकर अभियान चलाया। पुरियो में जयराम प्रजापति व लोहरा उरांव, बिरसा उरांव, लक्ष्मण उरांव, कैलाश उरांव, जयराम उरांव नवा टोली के विश्वनाथ उरांव समेत अन्य लोगों की अगुवाई में महिलाओं ने कई दिनों तक अपने कामकाज व दिनचर्या की परवाह किए बगैर अभियान को चलाया। पुरियो की शैलबाला तिर्की, चुटुटोली पुरियो की गौरी उरांव, रेखा देवी, रंथी उरांव, समेत बिरसा उरांव निश्श्क्त लालू उरांव ने भी अपनी भूमिका निभाई। सरना प्रार्थना सभा के जीवन उरांव, मुखलाल उरांव, मन्ना खेस, भीखू उरांव, विश्वनाथ उरांव, सुकरा भगत, बांदे उरांव, सुका उरांव, चरवा उरांव, बोले उरांव, महतो भगत, विरजन भगत, आकाश कुजूर, महतो भगत समेत कई अन्य लोगों ने अहम भूमिका निभाई।

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हड़िया और शराब की लत के कारण हजारों लोगों ने अपनी जमीन मकान, खेत, खलिहान और अपना समृद्ध जीवन गंवाने वाले लोगों की कोई कमी नहीं थी। इससे मुक्ति जरूरी थी।

- हीरामुनी ¨मज, अध्यक्ष, नशामुक्ति समिति, बेड़ो।

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किसी ने सोचा नहीं था कि इतने बड़े पैमाने पर शराब और हड़िया की फैली अपसंस्कृति को कभी समाप्त किया जा सकता है। लेकिन, अब एक नया सबेरा नजर आने लगा है।

- सुनीता उरांव, तुतलो।

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सिर्फ महिलाएं नहीं बल्कि पुरुषों ने भी कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाया है। नशे में डूबे लोगों के बीच से एक सुशिक्षित समाज का जन्म होता दिख रहा है।

- शैलबाला तिर्की, पुरियो।

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शराब समाज में व्याप्त सभी प्रकार की बुराइयों की जड़ है। जब शराब और हड़िया पूरी तरह बंद हो जाएगा, तो हमारे सामने एक नया सवेरा, नया समाज और नया सूरज नजर आएगा।

- कल्याणी उरांव, सलाहकार, नशामुक्ति अभियान।

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अभियान के दौरान घर के लोगों का विरोध का सामना हुआ। महिलाओं को उनके अपने पति का ही विरोध झेलना पड़ा, लेकिन महिलाओं ने ठान लिया था और समाज बदलने लगा।

- सलोमी कुजूर, पुरियो।

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अब समय आ गया है कि समाज में व्याप्त बुराइयों को समूल समाप्त करते के लिए नारी जाति एक हो जाए। यह लड़ाई मुक्ति की नहीं, सभी को सुशिक्षित करने की है।

- इडिट ¨मज, ग्रामीण।

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यह समय हमारे इम्तिहान का है। यह अभियान कभी रुकना नहीं चाहिए। अभी हमें सिर्फ 20 प्रतिशत ही सफलता मिल पाई है। आगे और कठिन डगर है।

- गौरी उरांव, पुरियो।

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