जनवरी में होगी आरोपी जूनियर डॉक्टरों की गिरफ्तारी
रांची : आम नागरिकों के साथ मारपीट के मामले में अनुसंधान के दौरान दोषी पाए गए रिम्स के 13 जूनियर डॉक्
रांची : आम नागरिकों के साथ मारपीट के मामले में अनुसंधान के दौरान दोषी पाए गए रिम्स के 13 जूनियर डॉक्टरों की गिरफ्तारी अब जनवरी में होगी। पर्यवेक्षण के दौरान दो सीनियर चिकित्सक डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह व डॉ. उमेश प्रसाद को इस पूरे मामले में मुक्त कर दिया गया है। आरोपी जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ वारंट तो है, लेकिन गिरफ्तार करनेवाले पुलिस पदाधिकारियों के चुनाव ड्यूटी में शामिल होने के कारण गिरफ्तारी संभव नहीं है।
बरियातू थानेदार विनोद कुमार सिंह ने बताया कि थाने के अधिकतर पदाधिकारी चुनाव ड्यूटी में चले गए हैं। इस कारण कानूनी कार्रवाई करने में विलंब हो सकता है। झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम 23 दिसंबर को आएगा। तब तक पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की व्यस्तता रहेगी। इसके बाद क्रिसमस और नए साल के आगमन को लेकर विधि-व्यवस्था में पुलिस अधिकारियों की व्यस्तता के कारण आरोपी जूनियर डॉक्टरों को थोड़ी राहत मिल सकती है। जनवरी में ही उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई कदम उठाया जाएगा।
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बरियातू थाने में दर्ज हुई थीं तीन प्राथमिकियां
रिम्स परिसर में मारपीट व छिनतई की घटना में बरियातू थाने में 26 अगस्त 2014 को तीन अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। प्राथमिकियां पत्रकार चंदूश्री ठाकुर, दीपक महतो व सूरज सिंह के बयान पर दर्ज की गई थीं। डॉ. धनंजय कुमार, डॉ. श्याम बास्की, डॉ. रवि मुर्मू, मेडिसिन विभाग के डॉ. मंगेश, डॉ. राहुल कुमार, डॉ.आनंद झा के अलावा डॉ. विवेक कुमार, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अमन कुमार, डॉ. विनीत कुमार, डॉ. विजय कुमार, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. संदीप अग्रवाल, डॉ. दीपक, डॉ. राजीव राज, डॉ. सरोज कुमार, डॉ. गणेश चंद्र सुबुधी को आरोपी बनाया गया था।
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सभी पदाधिकारी चुनाव ड्यूटी पर हैं। अब चुनाव की समाप्ति के बाद ही आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सुपरविजन में आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कांड को सत्य पाया गया है ओर उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश जारी है, जिसका पालन किया जाएगा।
- विनोद कुमार सिंह, थाना प्रभारी बरियातू।
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अब तक नहीं मिली अवैध रूप से रह रहे मेडिकल छात्रों की सूची
बरियातू थानेदार विनोद कुमार सिंह ने बताया कि रिम्स प्रबंधन से रिम्स के छात्रावासों में अवैध तरीके से रह रहे छात्रों की सूची मांगी गई थी, लेकिन अब तक यह उपलब्ध नहीं कराई गई है। पुलिस को सूचना है कि छात्रावास में अवैध तरीके से कई मेडिकल छात्र रह रहे हैं। वे ही सबसे ज्यादा उपद्रव मचाते हैं।
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