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विनम्र, मृदुभाषी थे विजय गुप्ता

रांची : विजय गुप्ता को पुरखों ने संभाल लिया है। अब हमें उनके सपनों और परिवार को संभालना है। इसी संकल

By Edited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 07:26 PM (IST)
विनम्र, मृदुभाषी थे विजय गुप्ता

रांची : विजय गुप्ता को पुरखों ने संभाल लिया है। अब हमें उनके सपनों और परिवार को संभालना है। इसी संकल्प के साथ युवा फिल्ममेकर विजय गुप्ता की याद में आयोजित स्मृति जुटान शनिवार को हुआ। सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सभागार में आयोजित श्रद्धाजलि सभा में फोटोग्राफी, फिल्म, कला-साहित्य और उसके परिवार से जुड़े कलाकार, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और संस्कृतिकर्मी शामिल हुए।

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इस अवसर पर प्रो. सुशील अंकन ने कहा कि विजय गुप्ता सेल्फलर्निंग प्रोसेस की मिसाल थे, जिन्होंने झारखंड की फोटोग्राफी और सिने कला को आगे ले जाने में महती भूमिका निभाई। छोटानागपुर सास्कृतिक संघ की शची कुमारी ने कहा कि अपने साथी को खो देने का दर्द एक स्त्री से बेहतर कोई नहीं जानता। साथी के नहीं रहने से या तो वह टूट जाती है या और मजबूत होकर उभरती है। मानवाधिकारकर्मी अरविंद अविनाश ने विजय को याद करते हुए कहा कि वे जितने विनम्र और मृदुभाषी थे, झारखंडी अस्मिता के सवाल पर उतने ही प्रतिबद्ध। पत्रकार और उपन्यासकार विनोद कुमार ने बताया कि विजय जैसे लोग बिरले होते हैं, जो अपने व्यक्तिगत सपने को सार्वजनिक सपना बना देते हैं। उन्होंने 'सोनचाद' फिल्म की परिकल्पना कर यह भी साबित किया कि समुदाय के सहयोग से बाजारवाद का मुकाबला किया जा सकता है। टीम सोनचाद के निर्देशक अश्रि्वनी कुमार पंकज ने कहा कि विजय गुप्ता ने आदिवासी संस्कृति को आत्मसात करते हुए झारखंडी कला-संस्कृति के विकास में अभिनव योगदान किया।

स्मृति जुटान की शुरुआत में झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने विजय गुप्ता के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उनकी पत्‍‌नी मनोनीत तोपनो से लोगों का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि अखड़ा की ओर से विजय गुप्ता के जीवन संघर्ष और फोटाग्राफ पर अगले वर्ष एक पुस्तक का प्रकाशन तथा फोटो प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। टेटे ने यह भी बताया कि विजय के ड्रीम प्रोजेक्ट फिल्म 'सोनचाद' की शूटिंग फरवरी 2015 में होगी और सितंबर तक उसे रिलीज कर दिया जाएगा।

इस अवसर पर सेंट जेवियर्स कॉलेज के हिंदी प्राध्यापक और कथाकार डा. सुनील भाटिया, आलोचक डॉ.सावित्री बड़ाइक, चित्रकार शेखर, फिल्मकार रंजीत उराव, वरिष्ठ साहित्यकार मनरखन किस्कू, युवा संस्कृतिकर्मी अजीत रोशन टेटे, एक्टिविस्ट शेषनाथ वर्णवाल, कृष्णमोहन मुंडा सहित अन्य कई लोग उपस्थित थे।


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