पानी का प्रेशर नहीं झेल पा रहीं पुरानी पाइपें
रांची : आप सुबह में नलों से पानी आने का इंतजार करते रहेंगे और पानी नहीं आएगा। किस दिन जलापूर्ति होगी और किस दिन नहीं, यह भी कहना मुश्किल है। महीने में औसतन आठ-दस दिन शहर में जलापूर्ति नहीं हो रही है। इसकी मुख्य वजह है, 40-45 वर्ष पुरानी पाइप। जमीन के नीचे बिछी पाइप जर्जर हो चुकी हैं। पानी का प्रेशर नहीं झेल पाने से अक्सर फट जा रही हैं। पिछले हफ्ते कोकर में पगला बाबा आश्रम और बूटी पहाड़ के निकट हटिया जलापूर्ति लाइन की पाइप प्रेशर से फट गई थी। इससे पहली बार तीन दिन और दूसरी बार दो दिनों तक जलापूर्ति ठप रही। शहर के लाखों की आबादी को पीने का पानी नहीं मिला। बार-बार जलापूर्ति बाधित होने से शहर के लोग परेशान हो उठे हैं। जब तक पुरानी पाइपें नहीं बदली जाएंगी तब तक ऐसा ही चलता रहेगा।
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गुस्सा रोकना हो रहा मुश्किल
कई इलाके ऐसे हैं, जहां जलापूर्ति पर ही लोग निर्भर हैं। जलापूर्ति नहीं होने से पीने का पानी नहीं मिलता। इसमें रांची रेलवे भी है। रेलवे की जलापूर्ति व्यवस्था भी पूरी तरह पेयजल विभाग पर निर्भर है। बार-बार जलापूर्ति बाधित होने से लोगों का गुस्सा अब फूट रहा है। सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। दो दिन पहले कर्बला चौक के आसपास के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इधर, सोमवार को शहर के कई इलाकों में फिर से जलापूर्ति नहीं हुई। पानी के लिए लोग परेशान रहे।
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पिछले कुछ दिनों से जलापूर्ति पाइप लाइन प्रेशर से फट जा रही हैं। अधिकांश पाइप पुरानी हो चुकी हैं। इसकी वजह से समस्या हो रही है।
- अजय सिंह, कार्यपालक अभियंता बूटी ।
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