हेमंत ने ही ठुकराया स्थानीयता का प्रारूप
रांची : स्थानीयता के मसले को सुलझाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बाबत तैयार प्रारूप पर गुरुवार को खुद असहमति जता दी। मुख्यमंत्री ने इसे ठुकराते हुए कहा कि प्रारूप में कई त्रुटियां हैं, जिनका निदान निकालना होगा। स्थानीयता को इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है। वे इससे सहमत नहीं हैं। गौरतलब है कि उनकी ही पहल पर मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के नेतृत्व में स्थानीयता पर प्रारूप समिति का गठन किया गया था, जिसमें सत्तारूढ़ दल झामुमो, कांग्रेस और राजद समेत समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को शामिल किया गया था। इस समिति ने एक माह पहले अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंपी थी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में तमाम दलों से आए नेताओं ने अपनी राय व्यक्त की। मूलवासी और स्थानीय के मसले पर भी चर्चा हुई। अब तमाम दलों से लिखित सुझाव मांगा गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि दो अगस्त तक सुझाव मांगे गए हैं। इस आधार पर अगर सहमति बनी तो विधानसभा के मानसून सत्र में इस नीति को पारित कराने की कोशिश की जाएगी।
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इनसेट
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स्थानीयता का आधार हो सकता है जिला
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राज्य सरकार बिहार में लागू स्थानीयता के फार्मूले को अंगीकार कर सकती है। इसमें जिलास्तर पर स्थानीयता का प्रावधान है। बैठक के दौरान यह बात उठी कि बिहार से अलग होने के बाद जब तमाम मामलों में उसके मॉडल को स्वीकार किया गया तो स्थानीयता का आधार भी बिहार का फार्मूला होना चाहिए।
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विपक्षी दलों ने घेरा सरकार को
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सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की कोशिश की। कहा कि सरकार स्थानीयता के मसले को टालने की कोशिश कर रही है। सरकार की मंशा सिर्फ इससे राजनीतिक फायदा उठाने की है। ऐसा नहीं होता तो सरकार प्रारूप में ही तमाम बिंदुओं को स्पष्ट करती।
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नकल में भी लगाई नहीं अक्ल
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स्थानीयता के प्रारूप को तय करने में अधिकारियों की उदासीनता खुलकर सामने आ गई। कमेटी ने इस बाबत छत्तीसगढ़ के फार्मूले को आधार बनाया था। राजनीतिक दलों को भेजे गए प्रारूप में तथ्यात्मक खामी है। इसमें जिक्र है कि मध्यप्रदेश से काटकर झारखंड बनाया गया है। तमाम दलों ने इस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।
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मुंडा ने जताई आपत्ति
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नेता प्रतिपक्ष अर्जुन मुंडा ने आननफानन में स्थानीयता के मसले पर आयोजित की गई बैठक पर आपत्ति जताई। हालांकि उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहते हुए बैठक में पार्टी के प्रतिनिधि को भेजा। जानकारी के अनुसार विधानसभा में आहूत पार्टी विधायक दल की बैठक में उन्होंने नाराजगी का इजहार किया। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं दिखती। एक ही वक्त में दो बैठकें तय कर दी जाती हैं। यह गलत परंपरा की शुरूआत है।
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नहीं आए बंधु
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स्थानीयता पर गठित प्रारूप कमेटी के सदस्य विधायक बंधु तिर्की ने खुद को बैठक से दूर रखा। हालांकि सत्तापक्ष की ओर से कहा गया कि उन्होंने प्रारूप तैयार करने में सहभागिता दी है। बताया जा रहा है कि बंधु तिर्की अपने दल टीएमसी को बैठक में आमंत्रित नहीं करने पर खफा हैं।
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किसने क्या कहा
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तमाम दलों से लिखित सुझाव मांगा गया है। दो अगस्त की डेडलाइन तय की गई है। इसके बाद भी सुझाव दिया जा सकता है। सरकार सभी दलों के सुझावों पर विचार कर ही अंतिम निर्णय पर पहुंचेगी।
राजेंद्र प्रसाद सिंह
मंत्री
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14 साल से किसी सरकार ने इस मसले को सुलझाने की कोशिश नहीं की। हेमंत सोरेन ने ईमानदारी से कोशिश की है। झामुमो मूलवासी और झारखंडी के फर्क को खत्म करने का पक्षधर है। स्थानीयता नीति में जिलों को आधार बनाया जाए और थर्ड एवं फोर्थ ग्रेड की नौकरी में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
विनोद पांडेय
केंद्रीय प्रवक्ता, झामुमो
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सभी को न्याय मिलना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। बिहार में 1982 का फार्मूला बेहतर होगा। जिला स्तर पर स्थानीयता का निर्धारण हो। राज्य गठन से पहले यहां रह रहे तमाम लोगों को इस दायरे में लाया जाए।
बड़कुंवर गागराई
विधायक, भाजपा
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बिहार का फार्मूला यहां भी लागू होना चाहिए। स्थानीयता जिला स्तर पर तय हो। पहले आदिम जनजाति के युवकों को नौकरी मिल जाती थी। अब ऐसा भी नहीं हो पा रहा है। प्रारूप पदाधिकारी बनाते हैं। इसमें जनता की भावनाओं को सिरे से नजरंदाज किया गया है।
गिरिनाथ सिंह
प्रदेश अध्यक्ष, राजद
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राज्य सरकार गंभीर नहीं है। बैठक का समय बदलने की सूचना तक नहीं दी गई। किसी के साथ स्थानीयता नीति में भेदभाव नहीं होना चाहिए। सरकार ने सिर्फ एक प्रदेश की नीति की छाया प्रति प्रारूप में लगा दी। यह क्षणिक राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है।
राजीव रंजन प्रसाद
महासचिव, झाविमो
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सरकार गंभीर नहीं है। सिर्फ कमेटी बना दी गई। इससे काम नहीं चलने वाला है। सबकी भावनाओं का ख्याल रखना होगा। सरकार ऐसा प्रारूप बनाए जो सबको स्वीकार्य हो।
देवशरण भगत
प्रवक्ता, आजसू
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थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में स्थानीय को लाभ मिले। आदिम जनजाति के आठवीं और मैट्रिक पास तमाम युवकों को नौकरी दी जाए। स्थानीयता का निर्धारण आम लोगों की भावनाओं का ख्याल करते हुए किया जाए।
भुवनेश्वर प्रसाद मेहता
प्रदेश सचिव, सीपीआइ
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स्थानीयता नीति के प्रारूप में घोर विसंगति है। झारखंड में दूसरे राज्य की नीति को लागू नहीं किया जा सकता। कट ऑफ डेट सबको ध्यान में रखते हुए तय किया जाए। 1951 की जनगणना को आधार बनाया जाए।
भुवनेश्वर केवट
भाकपा (माले)