दोपहर में भर्ती, एक्सरे देर शाम को
रांची : चेहरा खून से सना हुआ। कपड़ों पर लगा लाल रंग। चेहरे पर डर का भाव। रिम्स में भर्ती मरीजों की स्थिति उनके चेहरे से साफ तौर से देखने को मिल रही थी। उस मंजर का डर भी सभी के जुबान पर था। उन सब के बीच जब वे राज्य के सबसे बडे़ अस्पताल में पहुंचे तो आशाएं काफी थी। राहत की चाह भी। साथ में उचित चिकित्सा , लेकिन हुआ उनके साथ कुछ उल्टा ही। भर्ती तो वे हो गए, लेकिन आखिर उनकी जांच करे तो कौन करे। आलम ऐसा रहा कि एक भी सीनियर डॉक्टर ने मरीजों की जांच नहीं की। और जूनियर डॉक्टरों के रवैये को तो पूरा रांची जानता है। घायल बिगल भगत कहते हैं, कोई डॉक्टर नहीं देख रहा था। काफी देर तक खून निकल रहा था। पट्टी करने के लिए बोले तो वह भी मना कर दिया।
बात सिर्फ बिगल की नहीं है। वहां भर्ती सभी घायलों की स्थिति कुछ ऐसी ही थी। वो तो शुक्र है कि शाम में कुछ वीआइपी मूवमेंट की खबर रिम्स प्रशासन को मिल गई। डॉक्टरों में अचानक से फुर्ती आई और सभी ने तेजी से जांच करना शुरू कर दिया। लापरवाही का अनुमान एक्सरे से लगा लें। घायल भर्ती तो दोपहर में हुए, लेकिन उनका एक्सरे देर शाम मुख्यमंत्री के आने के बाद शुरू हुआ।
घायलों के परिजन गुस्से में भी दिख रहे थे। उनका भी कहना जायज था। आखिर इससे बड़ी घटना और क्या हो सकती है। इससे बड़ी इमरजेंसी भी नहीं। फिर डॉक्टरों का ऐसा रवैया क्यों।
बहरहाल, मुख्यमंत्री के आदेश के बाद हालत में थोड़ा सुधार हुआ। नर्स कंबल और चादर लेकर पहुंची। सभी घायलों की थोड़ी सफाई भी की गई। वहीं, उनके खाने की भी व्यवस्था मुख्यमंत्री के पूछने के बाद हुई।