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केडीएच खान के विस्तारीकरण का रास्ता साफ

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 01:01 AM (IST)
केडीएच खान के विस्तारीकरण का रास्ता साफ

खलारी : केडीएच खान के विस्तारीकरण का रास्ता अब साफ हो गया है। अब परियोजना बीस साल तक और चल सकती है। ऐसा विस्तारीकरण में बाधक बने विश्रामपुर के रैयत धीरेंद्र प्रसाद के पीछे हटने के कारण हुआ है।

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रैयत धीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि अब खदान के विस्तारीकरण में वे बाधक नहीं हैं। सीसीएल प्रबंधन से जैसे ही मुआवजा मिलेगा, वे तुरंत अपना मकान खाली कर देंगे। मुआवजा विवाद के कारण ही उनके घर के निकट केडीएच खान का विस्तारीकरण रुका है।

उल्लेखनीय है कि खलारी अंचल के विश्रामपुर मौजा स्थित रैयत दो भाइयों गजेंद्र प्रसाद एवं धीरेंद्र प्रसाद की 3 एकड़ 18 डिसमिल पर बना मकान सीसीएल के लिए गले का फांस बना हुआ है। इस भूमि के खाली नहीं होने के कारण केडीएच खदान का इस ओर विस्तारीकरण रोकना पड़ा। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 1996 में एनके एरिया की केडीएच खदान के विस्तारीकरण के लिए 101.41 हेक्टेयर जमीन खनन कार्य के लिए लीज पर दिया था। धीरेंद्र प्रसाद के प्लॉट संख्या 160 की 3.18 एकड़ जमीन पर बना मकान इसी 101.41 हेक्टेयर भूमि का हिस्सा है। चूक यह हुई कि सीसीएल 101.41 हेक्टेयर जमीन का पूरा भुगतान वन विभाग को कर चुका है। जबकि, धीरेंद्र प्रसाद को भी उनके मकान का मुआवजा दिया जाना चाहिए था। दरअसल वन विभाग को उक्त भूमि की स्थिति बताने के क्रम में प्रबंधन रैयत प्रसाद के घर की जानकारी नहीं दे पाया। केडीएच खदान जब रैयत धीरेंद्र प्रसाद के घर के करीब पहुंची, तो विवाद सामने आ गया। प्रबंधन के लिए परेशानी थी कि एक ही जमीन के लिए दो बार भुगतान कैसे करें। धीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि उच्च न्यायालय ने भी उनके 3.18 एकड़ जमीन के स्वामित्व को सही बताया है।

प्रसाद ने बताया कि करकट्टा प्रोजेक्ट के 'ए' ब्लाक के पास भी सीसीएल ने उनकी 18 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया था। इसके एवज में एक भी नौकरी नहीं मिली। साथ ही मुआवजे का दर भी कम मिला। कम मुआवजे के लिए उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि वर्ष 1992 में खदान बंद होने के समय के दर के अनुसार जमीन का मुआवजा दिया जाए तथा अतिरिक्त मुआवजे के 22 वर्ष का ब्याज भी भुगतान किया जाए। धीरेंद्र प्रसाद ने कहा है कि उपरोक्त दोनों मुआवजा मिलते ही वे मकान खाली कर देंगे। ज्ञात हो कि जमीन नहीं मिलने के कारण ही केडीएच खदान अपने उत्पादन लक्ष्य से पीछे रह जा रही है। धीरेंद्र प्रसाद के घर के आगे की जमीन सीसीएल की ही है। इस घर के हटते ही केडीएच को अगले 20 वर्ष तक खनन के लिए जमीन मिल जाएगी।

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भू-धसान का खतरा बढ़ा

खलारी : करकट्टा विश्रामपुर में बढ़ती केडीएच खदान को अचानक रोक दिए जाने से आसपास भू-धसान का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति रैयत धीरेंद्र प्रसाद के घर के निकट की है। केडीएच खदान को अचानक रोके जाने से कोयले का फेस खुला रह गया। कोयले के प्राकृतिक गुण के कारण हवा के संपर्क में रहने से कोयले में आग लग गई, जो धीरे-धीरे फैलते हुए जमीन के अंदर काफी आगे तक बढ़ गई है। पूर्व में हुए ब्लास्टिंग के कारण जमीन में पहले से ही दरारें थीं। अब इन दरारों से जलते कोयले का धुंआ बाहर निकल रहा है। धुएं के साथ कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड जैसे कई दम घुटाने वाली गैस निकलती है। कई जगह भू-धसान भी हो जा रहा है। आसपास रहने वाले 30 से 40 परिवार किसी अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं।


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