देश पर कुर्बान हुआ रांची का बेटा
रांची : देश पर कुर्बान होकर महज 22 वर्ष की उम्र में सुभाष सौरव बारला ने झारखंड का सिर तो गर्व से उठा दिया, पर उनकी यादें सबको रुलाती रहेंगी।
रांची में सुभाष की चाची का गला भर आया, अभी दिसंबर में ही तो घर आया था और..। आंखों से आंसू टपक पड़ते हैं। कश्मीर में शहीद सीआरपीएफ के जवान 22 वर्षीय सुभाष के शहादत की सूचना जैसे ही परिजनों को मिली, घर में मातम छा गया। सुभाष के रांची व हजारीबाग स्थित आवास में कारुणिक दृश्य था। वे बोल रहे थे, इसी दिसंबर में तो घर आया था। अभी तीन महीने भी नहीं हुए और वह..। डेढ़ साल पहले ही तो नौकरी में गया था।
रांची के कांटाटोली बस स्टैंड के समीप टमटमटोली में चाचा ऐमन बारला व चाची यूफ्रेशिया रहती हैं। सुभाष के पिता पतरस बारला व मां पूनम बारला हजारीबाग के बाबा पथ हुरहुरी स्थित आवास में रहते हैं। पूरा परिवार मूल रूप से रांची के ही लापुंग थाना क्षेत्र के छोटराय टोली स्थित जतालौया का है। पेशे से शिक्षिका चाची ने बताया कि सुभाष के पिता बिजली बोर्ड में अस्थाई कर्मी थे। कुछ दिन तक मैथन डैम में कार्यरत थे और इसी दौरान उन्हें लकवा का अटैक हो गया, तब से वे घर में ही हैं। सुभाष की एक बहन ही है, जो अभी अहमदाबाद में पढ़ाई कर रही है। स्वयं सुभाष हजारीबाग से ही संत रोबर्ट उच्च विद्यालय से मैट्रिक और संत कोलंबस कॉलेज से इंटर किया था। इसके बाद नौकरी में चला गया।
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मीडिया से मिली सूचना
चाची यूफ्रेशिया ने बताया कि उन्हें मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि सुभाष शहीद हो गया है। हालांकि, सुभाष के शहादत की सूचना हजारीबाग स्थित परिजनों को पहले मिल चुकी थी।
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