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सीमाओं की हालत सबक दिख रहे हैं..

मेदिनीनगर : सीमाओं के हालत सबको दीख रहे हैं, नेता भी अपने कुर्सियों पर चीख रहे हैं। अब पाक को उसकी ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 10:06 PM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 10:06 PM (IST)
सीमाओं की हालत सबक दिख रहे हैं..
सीमाओं की हालत सबक दिख रहे हैं..

मेदिनीनगर : सीमाओं के हालत सबको दीख रहे हैं, नेता भी अपने कुर्सियों पर चीख रहे हैं। अब पाक को उसकी ही भाषा में लताडेंगे- भई इसलिए मोदी जी उर्दू सीख रहे हैं। उक्त व्यंग हरियाणा से पधारे ¨हदी-हरियाणवी के हास्व कवि योगेंद्र मुदगल ने कही। वे 23 मई मंगलवार की शाम स्थानीय टाउन हाल में दैनिक जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में अपनी कविताओं व हास्य-व्यंग रचनाओं से सराबोर करने सोमवार को डालटनगंज पहुंचे। हरियाणा के पानीपत निवासी योगेंद्र मुदगल ने 12 हास्य-व्यंग कविताओं की रचना की है। इन किताबों का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है। पांच पुस्तकें हरियाणवी में प्रकाशित हुई है। कालीदास की रचना मेघदूत को मुदगल ने संस्कृत से हरियाणवी में अनुवाद किया है। पूछने पर बताया कि वे 1976 में काका हाथरसी व शरद जोशी से प्रेरित होकर काव्य की रचना शुरू की। आयुर्वेदिक चिकित्सक रहे योगेंद्र मुदगल ने कहा कि हास्य को उठाने व परोसने की नजर होनी चाहिए। नजर बदले तो नजरिया बदल जाता है। कहा कि कवि सम्मेलन ही ऐसा इवेंट है जिसे पूरा परिवार एक साथ बैठकर देख-सुन सकता है। वाद्य यंत्रों के वगैर केवल व केवल शब्दों से जोड़कर प्रस्तुत कविता से लोगों के मन को गुदगुदाया जा सकता है। कहा कि संस्कृति व धर्म के मिश्रण का माध्यम है कविता। कविता से बेहतर समाज का निर्माण होता है।


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