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शराबमुक्ति अभियान में जुटी हैं कलावती

हरिहरगंज, पलामू : हरिहरगंज प्रखंड क्षेत्र के एनएच 98 से सटे कौआखोह गांव निवासी कृष्णा साव की पत्‍‌नी

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 09:12 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 09:12 PM (IST)
शराबमुक्ति अभियान में जुटी हैं कलावती

हरिहरगंज, पलामू : हरिहरगंज प्रखंड क्षेत्र के एनएच 98 से सटे कौआखोह गांव निवासी कृष्णा साव की पत्‍‌नी कलावती देवी अवैध शराब बनाने वालों के समक्ष चुनौती बनकर खड़ी हैं। उन्होंने अपने परिवार व खुद का जीवन बर्बाद कर रहे पुरुषों को नशे से छुटकारा दिलाने का बीड़ा उठाया है। वह शराब के नशे में चूर अशिक्षित समाज को नशाखोरी से दूर रहने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही हैं। कलावती खुद निरक्षर हैं लेकिन उनका अभियान पढ़े-लिखों को भी समाज और हालात में बदलाव की प्रेरणा देता है। नशे से समाज को मुक्ति दिलाने का उनका अभियान मशाल की तरह इलाके में जल रहा है। उनकी टीम में कई पढ़ी-लिखी समझदार महिलाएं हैं।

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कलावती ने क्षेत्र में कौआखोह गांव में महिलाओं की टीम बनाकर शराबबंदी के लिए अभियान चला रही हैं। इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली है। अभियान में हर तरफ से लोगों का सहयोग मिला है। गांव की ही 10 सदस्यीय महिलाओं की एक टीम बना कर कलावती ने इसका नेतृत्व किया। शराब भट्ठियों को ध्वस्त किया। वह अखबार, रेडियो व टीवी के माध्यम से शराब की बुराई से बचने के लिए समाज को शिक्षित करने में जुटी हैं। नतीजतन गांव में शराब बनना बंद हो गया। गांव के दर्जनों लोगों ने शराब से तौबा कर लिया है। इसमें श्रवण कुमार, दीपक कुमार, श्रीराम, सत्येंद्र कुमार, धीरेंद्र कुमार, राजू कुमार गुप्ता समेत दर्जनों पुरुषों ने शराब पीना छोड़ दिया है। पूरे गांव में अवैध शराब बनाने पर पूरी तरह अंकुश लग चुका है।

उन्होंने बताया कि महिलाओं ने शराब भट्ठियों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद गांव में शराब मिलना बंद हो गया। पहले आसानी से शराब मिलती तो पी लेते थे। महिलाओं ने संदेश दिया कि शराब छोड़ने से सुशिक्षित समाज का निर्माण होगा। कलावती बताती है कि शाम ढलते ही गांव में नशेड़ियों का उत्पात शुरू हो जाता था। इसमें वाहन चालक, खलासी के अलावे असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता था। इस कारण महिलाओं का शाम में घर से निकलना मुश्किल हो गया था। गांव में व्यापक पैमाने पर शराब बनने के कारण नए रिश्तेदारों का आना जाना बंद होने लगा था। शादी-विवाह के मामले में फजीहत झेलनी पड़ती थी। गांव में कई ऐसे घर हैं जहां चूल्हा जले या न जले बच्चों को किताब-कॉपी मिले न मिले, इसकी परवाह किए बिना घर के मुखिया को शराब मिलनी जरूरी हो गई थी। नशे के चक्कर में कई घर उजड़ गए थे। ऐसे में कलावती ने हालात बदलने की ठानी। कलावती ने टीम में कुछ साक्षर और समझदार महिलाओं को शामिल किया। सबने गांव की सभी महिलाओं और पुरुषों से बात की। एक-दूसरे की बातों को सुन समझकर सभी शराबमुक्ति अभियान पर सहमत हुए। भट्ठियों को तोड़ा और गांव में शराब पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी। अब क्षेत्र शराब मुक्ति की ओर अग्रसर है।

कलावती और उनकी टीम की महिलाओं का कहना है कि अब वह शराबबंदी अभियान को अन्य क्षेत्रों में विस्तार देने का काम करेंगी। इसके लिए महिलाओं को जागृत किया जा रहा है। पुरुषों को नशा से बचने की शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने इस क्रम में अपनी पीड़ा भी बयां की। बताया कि उन्हें शराबबंदी मुहिम चलाने के बाद शराब माफियाओं ने डराया-धमकाया भी। कहा कि झूठे मुकदमे में फंसा देंगे। बावजूद प्रशासनिक सहयोग मिला। प्रशासनिक मदद व जनसहयोग मिले तो सामाजिक कुरीतियों से बचने के लिए बिन पढ़ाए भी समाज को शिक्षित किया जा सकता है।


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