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प्राकृतिक से ज्यादा राजनीतिक है पलामू का अकाल

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 10:56 PM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 10:56 PM (IST)
प्राकृतिक से ज्यादा राजनीतिक है पलामू का अकाल

मेदिनीनगर : मजदूर-किसान एकजुट होकर पारंपरिक व आधुनिक सोच में सामंजस्य स्थापित करें। वर्षा जल को संग्रह करें। पलामू के चार बड़ी कोयल, औरंगा, कनहर व सोन नदी से बहने वाली पानी का समुचित प्रबंधन के लिए आवास उठाएं। इसके बाद ही पलामू में अकाल से निबटा जा सकता है। उक्त बातें मजदूर किसान संघर्ष वाहिनी के संस्थापक विनोद कुमार ने कही। वे पाटन प्रखंड के किशुनपुर में अकाल के विकल्प पर आयोजित महापंचायत में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन वाहिनी की पलामू इकाई ने किया था।

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महापंचायत की अध्यक्षता सुमित्रा देवी ने की, जबकि संचालन लक्ष्मण राम ने किया। इसमें लोइया, किशुनपुर, सूठा, रजहरा, सिरमा व उताकी सहित 15 पंचायतों के लोगों ने शिरकत की थी। इसके पूर्व सुनीता देवी, रंजय राम, गीता देवी व प्रेम प्रकाश ने क्रांति गीत व प्रेरक गीत गाकर महापंचायत का प्रारंभ किया।

महापंचायत को परशुराम आजाद, नंदकिशोर, कमला देवी, बटुक राम, इंद्रदेव राणा, निरंजन पासवान, पचु राम व सुभद्रा कुंवर ने संबोधित किया। कहा कि पलामू का अकाल प्राकृतिक से ज्यादा राजनीतिक है। हमें एकजुट होकर इस आंदोलन को केंद्र तक ले जाने की तैयारी करनी होगी।

मौके पर सतीश कुमार रवि, जिलानी फैयाज, सुरेश मोची, रामभजन राम, प्रदीप कुमार, नरेश यादव, संजय राम, जयशंकर पासवान, राजदेव वर्मा, वचनदेव, अनिल कुमार, मनीष पाठक, टेनिक कुमार महतो, अभय कुमार आदि उपस्थित थे।


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