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पलामू में बजी सुखाड़ की घंटी

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 12:43 AM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 12:43 AM (IST)
पलामू में बजी सुखाड़ की घंटी

मेदिनीनगर : पलामू में सुखाड़ की घंटी बज चुकी है। किसानों के खेत सूखे रह गए। पलामू में 31 जुलाई तक मात्र 1.7 प्रतिशत ही धनरोपनी हुई है। बारिश मात्र 45 प्रतिशत हुई है। किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ देखी जा रही है। सरकार ने घोषणा की थी कि 31 जुलाई तक बारिश नहीं होने पर पलामू को सुखाड़ घोषित कर दिया जाएगा। पलामू की जनता अब सरकारी पर टकटकी लगाए हुए है।

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हालात बताते हैं कि पलामू में शतप्रतिशत सुखाड़ हो गया है। पलामू में 47 हजार हेक्टेयर पर धान की खेती होती है। 31 जुलाई तक मात्र 1299 हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हुई है। यह मात्र 2.7 प्रतिशत है। धान का बीचड़ा 79.3 प्रतिशत हुआ था। किसानों का कहना है कि सुखाड़ हो चुका है। पलामू के किसानों के खेतों में पानी नहीं है। ग्रामीण खेतों में पशु चरा रहे हैं। तालाब व पोखर सूखे हुए हैं। जहां बरसात में नदी नाले उफनती थी वहीं आज नदी प्यासी है। सावन माह में उफने वाली पलामू की लाईफ लाईन कोयल नदी सूखी पड़ी है। यहां से बालू का दोहन हो रहा है। वैज्ञानिक भी मंथन में लगे हैं कि सुखाड़ से निजात के लिए क्या किया जाए।

बाक्स.

वैकल्पिक खेती ही सहारा

धनरोपनी नहीं होने के कारण किसानों के पास वैकल्पिक खेती करना ही श्रेयस्कर है। वैकल्पिक खेती के रूप में दलहन तेलहन व मक्का की खेती से किसानों को सुखाड़ से निजात मिलेगा।

चारा व पीने का पानी का होगा संकट

सुखाड़ का दूरगामी परिणाम चार से छह महीना में देखने को मिलेगा। पशुओं के चारा का अभाव से किसान अभी से चिंतित हैं। बारिश नहीं होने से जलस्तर नीचे जा रहा है। जानकारी के अनुसार जुलाई महीना में पांच फीट तक जलस्तर नीचे चला गया है।

पलामू में सामान्य से 55 प्रतिशत कम बारिश

पलामू में 31 जुलाई को 45 प्रतिशत बारिश हुई है। यह जुलाई माह में पलामू में 344.7 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। इस वर्ष मात्र 150.7 मिलीमीटर बारिश ही हुई। जुलाई 2013 में 135.8 मिमी, जुलाई 12 में 307.2 मिमी, जुलाई 2011 में 148 मिमी, जुलाई 2010 में 141 मिमी व जुलाई 2009 में 254.8 मिमी बारिश हुई थी।

50 फीसद भी न हो सका फसल आच्छादन

पलामू में 31 जुलाई तक मक्का का आच्छादन 58.5 प्रतिशत, दलहन 50.9 प्रतिशत, तेलहन 39.7 प्रतिशत हुई है। पलामू के 26680 हेक्टेयर भूमि में मक्का होता है। अब तक 15609 हेक्टेयर में ही मक्का का आच्छादन हुआ। दलहन 44872 हेक्टेयर के विरूद्ध 22859 हेक्टेयर व तेलहन 2640 हेक्टेयर के विरूद्ध 1050 हेक्टेयर में ही आच्छादन हुआ।

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पलामू में वर्षा नहीं होने से हालात खराब हैं। सुखाड़ का फैसला सरकार को लेना है। पलामू प्रमंडल के तीनों डीसी प्रतिदिन वर्षापात व धान अच्छादान की रिपोर्ट सरकार को भेज रहे हैं।

नंदकिशोर मिश्र, आयुक्त, पलामू


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