आयुष चिकित्सा को संजीवनी की दरकार
पाकुड़ : चिकित्सकों की कमी और दवा के अभाव के कारण जिले के 18 आयुष औषधालय में ताला लटक गया है। जिले के
पाकुड़ : चिकित्सकों की कमी और दवा के अभाव के कारण जिले के 18 आयुष औषधालय में ताला लटक गया है। जिले के सभी छह प्रखंड में 20 होमियोपैथ, आयुर्वेद व यूनानी औषधालय स्थित है। इसमें दो केंद्र पर फिलहाल एक-एक चिकित्सक कार्यरत हैं। अधिकतर केंद्रों के बंद रहने से लोगों को होमियोपैथ, आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा पद्धति का लाभ नहीं मिल रहा है। आयुष चिकित्सा को अब संजीवनी की दरकार है।
गौरतलब हो कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में पांच होमियोपैथ औषधालय, दस आयुर्वेदिक औषधालय, दो यूनानी औषधालय तथा एक संयुक्त औषधालय स्थित है। इनमें से लगभग सभी केंद्र किराये के मकान में चल रहा था जो कि अब बंद पड़ा हुआ है। पूर्व में पाकुड़, हिरणपुर, अमड़ापाड़ा, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़िया और महेशपुर प्रखंडवासी होमियोपैथ, आयुर्वेद व यूनानी पद्धति से अपना इलाज कराते थे, लेकिन वर्ष 2013-14 से आयुष चिकित्सा पद्धति का हाल-बेहाल है। एक समय था कि लोगों को एलोपैथ से अधिक आयुष चिकित्सा पद्धति पर विश्वास था। सस्ते में लोगों की बीमारी ठीक हो जाती थी। परंतु अब लोग आयुष चिकित्सा पद्धति के बारे में सिर्फ सोच ही सकते हैं। आयुष चिकित्सा पद्धति का लाभ नहीं मिलने से गरीब तबके के लोग परेशान है। इधर, जिला आयुष पदाधिकारी गोविंद मंडल व इसके पूर्व तत्कालीन जिला आयुष पदाधिकारी डॉ. कपिलदेव राम ने विभाग के वरीय अधिकारियों और सरकार को कई बार पत्र लिखकर चिकित्सकों व दवा की कमी की जानकारी दे चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी सरकार व विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई।
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केंद्र 20, चिकित्सक सिर्फ दो : जिले में 20 आयुष चिकित्सा केंद्र स्थित हैं। केंद्रों में कम से कम एक चिकित्सक की आवश्यकता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि जिला संयुक्त औषधालय पाकुड़ व होमियोपैथ औषधालय लिट्टीपाड़ा में एक-एक चिकित्सक कार्यरत हैं। बाकी 18 औषधालयों में ताला बंद हो गया है। जिला संयुक्त औषधालय में डॉ. जगदीश कुमार व होमियोपैथ औषधालय लिट्टीपाड़ा में डॉ. प्रेम कुमार पदस्थापित हैं। डॉ. जगदीश वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके बाद सिर्फ एक चिकित्सक ही बच जायेंगे। इस समय दोनों चिकित्सक नियमित रूप से केंद्र भी नहीं आते हैं।
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मिश्रक का पद रिक्त : चिकित्सकों के साथ-साथ औषधालयों में मिश्रक (कंपाउंडर) का भी पद रिक्त पड़ा हुआ है। जिले के विभिन्न औषधालयों में कुल 15 मिश्रक का पद सृजित है, लेकिन सभी पद रिक्त पड़े हैं। इसके चलते भी अधिकतर केंद्र पूर्ण रुप से बंद हो गया है। वर्ष 2013-14 में कुछ केंद्रों में मिश्रक कार्यरत थे परंतु सेवानिवृत्ति के बाद अब वह पद भी खाली पड़ा हुआ है।
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वर्ष 2013-14 से नहीं हुई है दवा की खरीदारी : जिले के आयुष औषधालयों के लिए वर्ष 2013-14 से दवा की खरीदारी नहीं हुई है। कुछ दवाइयां सरकार की ओर से भेजी गई थी परंतु वह नाकाफी थी। नियमों की पेंच के चलते दवा की खरीदारी नहीं हो सकी है। आयुष कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अब दवा की खरीदारी रांची से होना है। इसलिए जब तक सरकार का निर्देश प्राप्त नहीं होता है तब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाना सहीं नहीं होगा। वर्तमान में जिस केन्द्र में चिकित्सक पदास्थापित हैं उस केंद्र में दवा की उपलब्धता नहीं के बराबर है।
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इस समय महज दो चिकित्सक दो केन्द्र में पदस्थापित हैं। डा. जगदीश वर्ष 2017 के जनवरी महीने में सेवानिवृत हो रहे हैं। इस संबंध में सरकार को पत्र लिखा या है।
डॉ. गोविंद मंडल, जिला आयुष पदाधिकारी, पाकुड़