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दो लाख के इनामी नक्सली का आत्मसमर्पण

लोहरदगा : लोहरदगा में पुलिस प्रशासन के तत्वावधान में आयोजित शहीद अजय ¨सह मेमोरियल वॉलीबॉल प्रतियोगित

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 07:22 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 07:22 PM (IST)
दो लाख के इनामी नक्सली का आत्मसमर्पण

लोहरदगा : लोहरदगा में पुलिस प्रशासन के तत्वावधान में आयोजित शहीद अजय ¨सह मेमोरियल वॉलीबॉल प्रतियोगिता के तहत पिछले एक माह से चली आ रही प्रतियोगिता का पहला परिणाम शनिवार को सामने आया। वॉलीबॉल का पहला पंच दो लाख के इनामी नक्सली के आत्मसमर्पण के रूप में लगा है। लोहरदगा पुलिस की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर शहीद अजय ¨सह मेमोरियल वॉलीबाल प्रतियोगिता के समापन के मौके पर शनिवार को ललित नारायण स्टेडियम में भाकपा माओवादी के एरिया कमांडर विलास उर्फ सर्वेश उर्फ सर्वेश गंझू ने हथियार के साथ राज्य के कई पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। यह वालीबाल प्रतियोगिता के समापन समारोह में लोहरदगा पुलिस के लिए महत्वपूर्ण तोहफा माना जा रहा है।

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चतरा के कई इलाकों में था दबदबा

सर्वेश गंझू मूल रूप से चतरा जिले के प्रतापपुर थाना अंतर्गत हारा नौकाडीह गांव का रहने वाला है। स्वर्गीय चकौड़ी गंझू के पुत्र सर्वेश गंझू का चतरा के कई क्षेत्रों में दबदबा था। वह प्रतापपुर, हंटरगंज, जोरी, पांडेपुरा आदि इलाकों में सक्रिय था। लोहरदगा पुलिस के वॉलीबॉल प्रतियोगिता के माध्यम से खिलाड़ियों को आगे लाने की कोशिश ने सर्वेश को काफी प्रभावित किया है।

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जमीन विवाद में बना था नक्सली

भाकपा माओवादी का चतरा जोन का एरिया कमांडर सर्वेश गंझू जमीन विवाद निपटारे के लिए संगठन में शामिल हुआ था। वह वर्ष 1997 में अपने पड़ोसियों से जमीन विवाद निपटाने के लिए माओवादी संगठन की शरण में आया था। उस समय वह माओवादियों के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा था। वर्ष 2001 में उसे एरिया कमांडर बनाया गया था। इसके बाद से वह लगातार संगठन में सक्रिय था।

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मनातू थाना को उड़ाने की योजना में था शामिल

भाकपा माओवादी के अनुराग, विक्रम, तसु, भागु, लखन, मन्नू आदि सदस्यों के साथ सर्वेश मनातू थाने को उड़ाने की योजना में शामिल था। वह अन्य सदस्यों के साथ मनातू थाना पहुंचा था। वहां थाने को लूटने की नीयत से हमला बोला गया था। करीब एक घंटे तक दोनों ओर से हुई गोलीबारी में पुलिस को कोई क्षति नहीं हुई थी, परंतु सर्वेश के एक साथी को गर्दन में गोली लग गई थी। पुलिस को भारी पड़ता देख नक्सली अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले थे।

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मामा की मौत से टूटा भ्रम

सर्वेश गंझू अपने मामा भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर गणेश गंझू के साल 2008-09 में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से काफी आहत था। माओवादी संगठन का भ्रम टूट गया था। तब से सर्वेश गंझू धीरे-धीरे संगठन से किनारा करते चला गया। इसके बाद वह नियमित सदस्य के रूप में काम नहीं करके सूचना देने, लेवी वसूलने का काम कर रहा था।

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जीवन में लगा हथियार का रास्ता सही नहीं : सर्वेश

लोहरदगा : सर्वेश गंझू ने आत्मसमर्पण के उपरांत कहा कि वह पिछले एक साल से इस बारे में सोच रहा था। जीवन में लगा कि हथियार का रास्ता बेहतर नहीं है। इसी वजह से वह बेहतर अवसर की तलाश में था। सर्वेश ने कहा कि अब वह कानूनी प्रक्रिया से निकलने के बाद खेती-बारी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करेगा।

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अब धीरे-धीरे सच से उठ रहा पर्दा : एसपी

लोहरदगा : एसपी कार्तिक एस का कहना है कि अब धीरे-धीरे सच से पर्दा उठ रहा है। माओवादी संगठन के नाम पर जो भ्रम फैलाया गया था, उसका सच लोगों के सामने आ रहा है। सर्वेश गंझू का आत्मसमर्पण परिवर्तन के लिए बेहतर संकेत है। आने वाले समय में और भी लोग आत्मसमर्पण करते हुए समाज की मुख्यधारा से जुड़ेंगे।

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