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इंडिया इज द बेस्ट, भारत से हमें है प्यार

लोहरदगा : एक जुलाई 1888 को गठित लोहरदगा नगरपालिका के स्वर्णिम इतिहास को जानने के लिए मंगलवार को अमेर

By Edited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 07:11 PM (IST)
इंडिया इज द बेस्ट, भारत से हमें है प्यार

लोहरदगा : एक जुलाई 1888 को गठित लोहरदगा नगरपालिका के स्वर्णिम इतिहास को जानने के लिए मंगलवार को अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले एफ हान का परिवार लोहरदगा पहुंचा। ब्रिटिशकालीन जमाने की नगरपालिका से यह परिवार रूबरू हुआ। नगरपालिका के पहले चेयरमैन जर्मनी निवासी एफ हान के परपोते डा. टेड फियेराबेंड, के हेनरी, परपोती मेरी गिराल्ड व वालफार्म पिट्ज नाटरोट ने लोहरदगा में आकर अपने पूर्वज के इतिहास से रूबरू हुए। साथ ही यहां की संस्कृति, सभ्यता और कार्यप्रणाली से भी रूबरू हुए। एक जुलाई 1888 से 26 जनवरी 1899 तक पहले चरण में और 24 सितंबर 1898 से तीन नवंबर 1900 तक लोहरदगा नगरपालिका के चेयरमैन रह चुके एफ हान के परिवार के सदस्यों का सबसे पहले लुथरन चर्च में आगमन पर पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया। इसके उपरांत लुथरन चर्च, लुथरन परिसर स्थित कुष्ठ उपचार केंद्र के भवन का निरीक्षण किया। साथ ही एफ हान द्वारा निर्मित पुराने नगरपालिका भवन का भी अवलोकन किया। परिवार के सदस्यों ने यह जानने की कोशिश की कि यहां उनके पूर्वजों ने किस प्रकार से अपनी सेवा दी। इस मौके पर मेरी गिराल्ड ने कहा कि इंडिया इस द बेस्ट, भारत से हमें प्यार है। वे यहां पर यह देखने के लिए आए थे कि उनके परदादा ने किस प्रकार से यहां पर अपने जीवन का महत्वपूर्ण क्षण गुजारे। नगर परिषद अध्यक्ष पावन एक्का ने कहा कि नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन के परिवार के यहां आने से उनका हौसला बढ़ा है। वे और उत्साह के साथ शहर के विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सभी के सहयोग से हम विकास का इतिहास रचेंगे। मौके पर नप उपाध्यक्ष सुबोध कुमार राय, कार्यपालक पदाधिकारी गंगा राम ठाकुर, वार्ड पार्षद अरुण वर्मा, राजीव रंजन, प्रमोद कुमार राय, कमला देवी, मनोरमा एक्का सहित नगर परिषद के कर्मचारी मौजूद थे।

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डायरी से खुला एफ हान के जीवन का राज

नगरपालिका के पहले चेयरमैन एफ हान के जीवन का राज उनकी डायरी से खुला था। एफ हान के परिजनों ने बताया कि उनके परदादा को डायरी लिखने का शौक था। उन्होंने लोहरदगा में अपने गुजारे हुए समय के बारे में डायरी में अंकित किया था जो उनके हाथ लग गया था। डायरी में इस बात का भी जिक्र है कि किस प्रकार से उनके परदादा कुष्ठ रोगियों की सेवा किया करते थे। डायरी में इस बात का भी उल्लेख था कि लोहरदगा नगरपालिका में उनका कार्यकाल कैसा था। इसी की वजह से उन्हें लोहरदगा आने का मौका मिला।


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