धर्म व समाज को एक सूत्र में बांधता है उर्स : सांसद
जागरण संवाददाता, लोहरदगा : सूफी संत हजरत बाबा दुखन शाह (र.अ.) के सालाना उर्स के मौके पर गुरुवार से ल
जागरण संवाददाता, लोहरदगा : सूफी संत हजरत बाबा दुखन शाह (र.अ.) के सालाना उर्स के मौके पर गुरुवार से लेकर शुक्रवार को हजारों अकीदतमंदों ने बाबा की मजार पर चादरपोशी कर अमन चैन व खुशहाली की दुआ मांगी। उर्स के पवित्र मौके पर बाबा के चाहने वालों की भीड़ से शहर की सड़कें पूरी तरह पटा रहा। उर्स के दिन हर जुबां पर बस दुआ के बोल और चेहरे पर प्रेम व सौहार्द की तस्वीर नजर आई। लोगों की दुआ से प्रेम, भाईचारा, एकता और सामाजिक सौहार्द का संदेश पूरे समाज में फैला। शहरी क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण अंचलों से लोगों की भीड़ बाबा के मजार पर पहुंचा। बाबा की दरगाह पर पहुंचे महिला-पुरुष समेत हजारों लोगों ने माथा टेक चादरपोशी की। 90वां सालाना उर्स मुबारक के मौके पर गुरुवार की रात महफिल-ए-कव्वाली का उद्घाटन करने पहुंचे बतौर मुख्य अतिथि राज्य सभा सांसद धीरज प्रसाद साहू, प्रवीण कुमार सिंह एवं ओम सिंह समेत अन्य आगत अतिथियों का स्वागत अंजुमन इस्लामियां के अध्यक्ष-सचिव एवं उर्स कमेटी के पदाधिकारियों ने पगड़ी पोशी कर की। इस अवसर पर महफिल-ए-कव्वाली कार्यक्रम का उद्घाटन सांसद धीरज प्रसाद साहू, प्रवीण कुमार सिंह एवं ओम सिंह ने फीता काटकर किया। मौके पर डीपी साहू ने कहा कि धर्म व समाज को उर्स एक सूत्र में बांधने का काम करता है। उन्होंने सालाना उर्स पर बाबा की मजार पर हाजिरी देकर जिला एवं राज्य के विकास के साथ देश में अमन-चैन व सुख और शांति की कामना की। महफिल-ए-कव्वाली में भी उन्होंने कहा कि बाबा दुखन शाह की दरगाह पर धर्म-जाति को भूलकर एक होने का सबक मिलता है, आज देश को इसकी जरूरत है। बाबा की दरगाह में दो दरवाजे हैं, जहां पर सभी धर्म संप्रदाय के लोग एक दरवाजे से अंदर जाते हैं और दूसरे से इंसानियत की मुराद लेकर लौटते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा की मजार से प्रेम और भाईचारे का संदेश मिलता है। प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि समाज में सांप्रदायिक सौहार्द को कायम रखने के लिए अनेक फकीर संत ने सहयोग दिया। समाज को बचाने के लिए बाबा दुखन शाह के आदर्श काफी महत्वपूर्ण हैं। महफिल-ए-कव्वाली कार्यक्रम में हजरत बाबा दुखन शाह किसी एक जाति विशेष के नहीं बल्कि वह सभी संप्रदायों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। बाबा की दरगाह पर जाति-धर्म का भेद मिटता है। ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि लोहरदगा में उर्स पर मोहब्बत और सांप्रदायिक सौहार्द का जज्बा अपने साथ लेकर जाना ही बाबा के प्रति सच्चा विश्वास और श्रद्धा होगी। उर्स मेले में अमीरी-गरीबी, जात-पात का भेदभाव मिट गया। हिन्दू-मुस्लिम समाज के लोगों ने बाबा की मजार पर चादरपोशी कर सलामती की दुआ मांग रहे थे। मौके पर अंजुमन इस्लामियां के अध्यक्ष सज्जाद खान, सचिव हाजी सज्जाद खान, शाबिर खान, इकबाल खलीफा, नेहाल कुरैशी, जब्बारूल अंसारी, मुमताज अहमद, गुलाम मुर्तजा आदि मौजूद थे।