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प्रेम व त्याग का प्रतीक है गुड-फ्राइडे : विसेंट मिंज

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 11:42 PM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 11:42 PM (IST)
प्रेम व त्याग का प्रतीक है गुड-फ्राइडे : विसेंट मिंज

लोहरदगा : प्रेम और क्षमा का संदेश देता गुड फ्राइडे। आज के दिन ही प्रभु यीशु ने दुनिया के पापों के लिए अपने प्राणों को क्रूस पर अर्पित किया था। ईश्वर के प्रेम का सर्वोच्च दर्शन गुड-फ्राइडे है। क्रूस ईश्वर-मनुष्य के बीच सेतु है। गुड-फ्राइडे की घटना ईश्वर के इकलौते पुत्र ख्रीस्त द्वारा पिता की आज्ञा का अनुपालन कर समस्त मानव जाति की मुक्ति के लिए प्रभु ने क्रूस की मृत्यु स्वीकार की थी। इस बात को पतराटोली स्थित आरसी चर्च के पल्ली पुरोहित फादर विसेंट मिंज ने कही। प्रभु के बलिदान, प्रेम व त्याग का प्रतीक है गुडफ्राइडे का पर्व शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के गिरजाघरों में हुआ। मौके पर विशेष प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। अनुष्ठान के बाद फादर विसेंट मिंज ने कहा कि गुड फ्राइडे का दिन यीशु ख्रीस्त की मृत्यु पर विजय का दिन है। गुड-फ्राइडे के मौके पर ºीस्तीय समुदाय के लोगों ने अपने-अपने चर्चो में विशेष प्रार्थना कर यीशु के बलिदान व त्याग का स्मरण किया। आरसी चर्च में फादर पीटर सांगा, फादर सुशील तिर्की, अल्विनुस टेटे की अगुवाई में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। चर्च के अन्य इकाइयों में भी उपासना सहित प्रवचन, प्रार्थना, गीत, उपवास, दान अर्पण किया गया। यीशु अपने सम्पूर्ण जीवन को कैसे मानव सेवा एवं उद्धार में लगा दिए और स्वेच्छा से मृत्यु को स्वीकार किया। प्रभु के पुन: जीवित हो उठने की घटना असत्य पर सत्य की विजय है। उर्सुलाइन कान्वेंट स्थित चर्च में फादर थामस पावाथील ने विशेष प्रार्थना सभा में धर्मशास्त्र पाठ किया। जहां एकत्रित हो कर विश्वासियों ने प्रभु यीशु व उनके वचनों को याद किया। फादर थामस ने कहा कि प्रभु यीशु ने पवित्र शुक्रवार के दिन खुद को मानव के उद्धार के लिए बलिदान दिया। दूसरों के लिए उनका बलिदान प्रेम व त्याग का प्रतीक है। गुड-फ्राइडे प्रभु यीशु के मानव सेवा के लिए दुख भोग की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि प्रभु हमारे बीच हजारों संस्कारों के रूप में जीवित है। आराधना के अंत में प्रभु भोज का अनुष्ठान किया गया।

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क्रूस रास्ता का किया गया आयोजन

लोहरदगा : गुड फ्राइडे पर गिरजा घरों में प्रभु को याद किया गया। जिस क्रूस पर ईशा मसीह को लटकाया गया था उसके प्रतीक के रूप में लकड़ी का एक तख्ता गिरजा घरों में रखा गया था वहां एक-एक भक्त पहुंचकर उसे चूमते रहे। इसके बाद प्रवचन, ध्यान व प्रार्थनाएं हुई। प्रभु यीशु क्रूस के साथ जिस रास्ते से गुजरे थे उस दुख भोग यात्रा का स्मरण किया गया।


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