कागज में पूरे, हकीकत में अधूरे
लातेहार, बरवाडीह : सरकार आदिम जनजातियों के कल्याण के लिए भले ही कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन जरूरतमंदों तक इसका लाभ कम ही पहुंच पा रहा है। गड़बड़ियों के साथ प्रशासनिक सुस्ती भी इसकी एक बड़ी वजह है। बरवाडीह प्रखंड में आदिम जनजातियों को दिए गए बिरसा आवास, इंदिरा आवास व दीनदयाल आवास शुरू होने के 10 वर्षो के बाद भी अधूरे पड़े हैं। इससे आदिम जनजातीय परिवारों के लोग आज भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। इस बीच कुछ लोग मौके का फायदा उठाकर बिरसा आवास को ध्वस्त कर ईंटें भी निकाल ले जा रहे हैं।
यहां वर्ष 2005 से लेकर 2012 तक 110 बिरसा आवास, 445 इंदिरा आवास व 70 दीनदयाल आवासों का निर्माण करवाया गया है, लेकिन आज तक सभी आवास अधूरे पडे़ हैं। यहां के राजमीनी कोरवा व बुधन कोरवा ने बताया कि हमलोग अपने आवास के निर्माण के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं, लेकिन हमलोगों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। अब उपायुक्त राहुल कुमार पुरवार से मिल कर आवास निर्माण की मांग करेंगे।
इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं है, मैं अपने स्तर से जांच करने के बाद ही कुछ बता सकूंगा।
प्रमोद कुमार दास, बीडीओ बरवाडीह।
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