टोरी रेलवे स्टेशन को मिला जंक्शन का दर्जा
चंदवा: बरकाकाना-बरवाडीह रेलखंड पर स्थित टोरी रेलवे स्टेशन को जंक्शन बनने में 80 वर्ष का समय लगा। इस
चंदवा: बरकाकाना-बरवाडीह रेलखंड पर स्थित टोरी रेलवे स्टेशन को जंक्शन बनने में 80 वर्ष का समय लगा। इस रेलवे स्टेशन का निर्माण देश की आजादी के 10 वर्ष पूर्व 1937 में किया गया था। उस वक्त इस पर इक्का-दुक्का रेलगाड़ियों का परिचालन किया जाता था। 1996 में तात्कालीन बिहार के रेलमंत्री रामविलास पासवान की पहल पर लोहरदगा-टोरी रेल लाइन निर्माण को स्वीकृति मिली। लंबे इंतजार के बाद नौ मार्च 2017 को इस पटरी पर स्पेशल पैसेंजर ट्रेन दौड़ी। 80 वर्ष के बाद टोरी रेलवे स्टेशन को टोरी जंक्शन का दर्जा मिला। इधर टोरी-शिवपुर रेल लाइन निर्माण कार्य प्रगति पर है। टोरी-शिवपुर रेल लाइन निर्माण के लिए युद्धस्तर पर पटरी बिछाई जा रही है। फिलवक्त अप व डाउन दो रेल लाइन के लिए पटरियां बिछाने का काम प्रगति पर है। सूत्रों की मानें तो इस रेल लाइन पर रेल पटरी के तिहरीकरण की योजना है। जिसे दो से तीन वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद टोरी रेलवे जंक्शन इस रेलखंड का सबसे बड़ा व मॉडल स्टेशन होगा।
टोरी रेलवे स्टेशन को जंक्शन बनने से बढ़ी उम्मीदें: पूर्व मध्य रेलखंड के टोरी रेलवे स्टेशन को जंक्शन बनाए जाने के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है। नौ मार्च 2017 को रांची-लोहरदगा-टोरी के लिए स्पेशल पैसेंजर ट्रेन के आगमन के साथ ही इसके जंक्शन बनाए जाने की घोषणा को बल मिला। 21 मार्च को टोरी रेलवे स्टेशन पर दक्षिण-पूर्व लगाए गए टोरी के बोर्ड पर टोरी जंक्शन लिखा गया। टोरी जंक्शन का बोर्ड देख लोग हर्षित हुए। पेंटर द्वारा बोर्ड पर टोरी जंक्शन लिखे जाने की सूचना पर कई लोग वहां पहुंचे।
यात्री सुविधाओं का है अभाव: टोरी रेलवे स्टेशन को जंक्शन तो बना दिया गया लेकिन यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी नहीं की गई। फ्लाई ओवरब्रिज, फूट ओवरब्रिज, यात्री विश्राम गृह, शौचालय, बिजली, पानी, पूछताछ केन्द्र समेत अन्य सुविधाओं का अभाव है।
कहते हैं रेल प्रबंधक: टीआई टोरी शिवशंकर ¨सह व एसएस अशोक कुमार कहते हैं कि बहुत जल्द यह मॉडल स्टेशन होगा। यात्री सुविधाएं समेत अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। यह शहर को नई पहचान दिलाएगा।