Move to Jagran APP

भगवान भाव के भूखे हैं, धन के नहीं: यशोदा नंदन जी

झुमरीतिलैया (कोडरमा): अग्रवाल समाज एवं लड्डू गोपाल सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में शहर के उजाला कांप्ले

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 09:35 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 09:35 PM (IST)
भगवान भाव के भूखे हैं, धन के नहीं: यशोदा नंदन जी
भगवान भाव के भूखे हैं, धन के नहीं: यशोदा नंदन जी

झुमरीतिलैया (कोडरमा): अग्रवाल समाज एवं लड्डू गोपाल सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में शहर के उजाला कांप्लेक्स में दूसरे दिन शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा में महाभारत का प्रसंग, सुखदेव जी के जन्म एवं राजा परिक्षित के ज्ञान पर व्याख्यान यशोदा नंदन जी ने दी। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं धन के नहीं। आंखों में आंसू भरकर सच्चे दिन से यदि हम एक तुलसी का पत्ता भगवान के चरणों में चढ़ाएं तो प्रभु अपने आपको भी समर्पण कर देते हैं। उनकी दृष्टि में भाव का मूल्य है। अर्थात वस्तु का कोई मूल्य नहीं है। स्वामी जी ने कहा कि प्रभु को पाने के लिए हमारे पास देने को कुछ नहीं है क्योंकि शरीर भी भगवान ने ही दिया है। जिस धन का अहंकार करते हैं जो प्रभु का दिया हुआ है। हमारे पास अपना कुछ नहीं, लेकिन एक चीज प्रभु को दे सकते हैं जो प्रभु ने हमें नहीं दिया वे है अहंकार उसे प्रभु के चरणों में चढ़ा दिया जाए तो काफी शकून मिलेगा। उन्होंने कहा कि मोह अंधकार है, प्रेम उजाला है। हम मोह के सब आंसू बहाते हैं। यहां हाय बेटा हाय मैया कहकर रोने वाला घर-घर व गली-गली मिलता है परंतु भगवान की याद हाय गो¨वद, हे कृष्ण, हे मधुसूदन, हे प्राण बल्लब कहकर रोने वाला नहीं मिला।

loksabha election banner

मंदिर में जाकर हम रोज भगवान से कहते हैं कि आप हमारे माता-पिता और सबकुछ आप ही हो। मंदिर से बाहर निकलते ही हम भूल जाते हैं। जब हमारी गाड़ी संसार में फंस जाती है तो हमारे अपने भी नजर फेर लेते हैं तब हम दुखी होकर भगवान को पुकारते हैं कि प्रभु मेरी लाज बचाओ। स्वामी जी ने आगे कहा कि जीवन में माता कुंती प्रभु से कहा कि मुझे दुख दे दो, सुख मिलने पर कहीं न कहीं अहंकार का जन्म होता है। अहंकार ही भगवान से दूर करता है। इसलिए हम दुख का जीवन जीते हैं तो आंखों के आंसूओं में भी भगवान की याद आती है। आंसू दो प्रकार होते हैं। एक मोह का और दूसरा आंसू प्रेम का होता है। भागवत कथा के बीच-बीच में राधे-राधे एवं कोई श्यामसुंदर से कह दो यह जाकर भूला क्यों दिया हमें अपना बनाकर.. भजन गूंज रहा था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नगर पर्षद के कार्याकारी अध्यक्ष संतोष यादव उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने से काफी शांति मिलती है। इस अवसर पर अग्रवाल समाज के अध्यक्ष दीनदयाल दयाल केडिया, सचिव अजय अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक जगदीश संघई, प्रदीप केडिया, किशेन संघई, श्यामसुंदर ¨सघानियां, मुकेश भालोटिया, हिमांशु केडिया, संजय अग्रवाल, गोपीकृष्ण अग्रवाल, कैलाश चौधरी, राजेंद्र मोदी, मनीष सूद, रामरतन महर्षि, सुनील लोहिया, अभिषेक भालोटिया, आयूष पोद्दार, पवन भोजगढि़या, वार्ड पार्षद घनश्याम तुरी, बसंत ¨सह समेत कई श्रद्धालु उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.