प्रखंड को बनाएंगे बाल विवाह से मुक्त: बीडीओ
डोमचांच (कोडरमा): जिला का डोमचांच प्रखंड पहला बाल विवाह मुक्त प्रखंड बनेगा और इसे ऐसा करने में पोषण
डोमचांच (कोडरमा): जिला का डोमचांच प्रखंड पहला बाल विवाह मुक्त प्रखंड बनेगा और इसे ऐसा करने में पोषण सखी, आंगनबाड़ी सेविका, पंचायत जनप्रतिनिधि, थाना, ब्लॉक प्रशासन, चाइल्डलाइन, स्थानीय स्वयंसेवी संस्थान व सिविल सोसाइटी के लोगों का भरपूर योगदान होगा। यह संकल्प व निर्णय आज प्रखंड सभागार में आयोजित बाल विवाह की रोकथाम को लेकर आयोजित प्रखंडस्तरीय कार्यशाला में लिया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए बीडीओ नारायण राम ने कहा कि ¨जदगी में खुशियां भरने एवं घर-परिवार को सजाने-संवारने के लिए बाल विवाह को रोकने का यह अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुखिया के सहयोग से माइका-माइंस क्षेत्र के दूरस्थ गांवों में भी इस अभियान को ले जायेंगे और अपने प्रखंड को बाल विवाह जैसी कुप्रथा से मुक्त बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोडें़गे। विशिष्ठ अतिथि प्रशिक्षु अपर समाहर्ता समरेश भंडारी ने कहा कि हम तमाम आधुनिक तकनीकों व सुख-सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन, विचार 14वीं सदी को लेकर चल रहे हैं। यही विचार व सोच हमें बेटी को बोझ समझने एवं कम उम्र में ही बेटी का ब्याह रचाकर अपनी जिम्मेवारी से मुक्त होने को विवश करता है। थाना प्रभारी एसके ¨सह ने कहा कि कानून की जानकारी घर-घर तक ले जाने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए पोषण सखी एवं पंचायत जनप्रतिनिधियों को अपनी सामाजिक दायित्वों को निर्वाह करने या फिर 1098 पर कॉल करने की अपील की।
अंचलाधिकारी नाजिया अफरोज ने बाल विवाह, घरेलू ¨हसा, प्रताड़ना आदि से उबारने के लिए बेटियों को आर्थिक स्वावलंबी बनाने की बात कही। सीडब्ल्यूसी के सदस्य राजकुमार सिन्हा ने बाल विवाह के कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि बाल विवाह के आयोजन पर दो वर्ष तक का कठोर कारावास एवं एक लाख का जुर्माना या दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के कारण ही समाज में आज 60 फीसदी ज्यादा घरेलू ¨हसा हो रही है।
चाइल्डलाइन के निदेशक इंद्रमणि साहू ने संस्था के द्वारा किये जा रहे पहल की जानकारी देते हुए कहा हमें ¨लगभेद एवं कानून के व्यापक प्रचार-प्रचार को लेकर भी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 47 फीसदी शादियां अभी भी 18 साल से पहले हो रही है। 22 फीसदी बालिकाएं 18 वर्ष से पहले मां बन रही है। यह रिपोर्ट अपने आप में 21वीं सदी के लोगों पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, पहले पढ़ाई फिर विदाई, शिक्षा अधिकार कानून की सार्थकता तभी है जब हम अपने समाज से इस तरह का कुरीति हटाने में कामयाब होंगे। कार्यशाला को कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दिनेश रविदास, सबसेंटर के समन्वयक बब्लू कुमार, प्रर्यवेक्षक उतम कुमार, डोमचांच उतरी पंचायत के गीता पांडेय, अधिवक्ता राजेश कुमार आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में समाजसेवी सुमन कुमार मेहता, उपमुखिया सोनी देवी, पंसस मनोज कुमार, पारा शिक्षक शंभू राणा, मधुवन पंचायत के मुखिया हरिशंकर प्रसाद, एसएमसी अध्यक्ष मनीष कुमार, शंकरलाल राणा, जितेन्द्र कुमार ¨सह, मनीष लेहरी, मेरियन सोरेन, बसंती देवी, ज्योति कुमारी सिन्हा, नुतन कुमारी, उमेश कुमार, विजय कुमार यादव, सन्नी कुमार, मुकेश कुमार यादव, बबीता देवी, नारायण तुरिया, मुखिया कुमुद देवी, चिरंजीव कुमार साव, नंदिता गोस्वामी आदि ने भाग लिया। संचालन संतोष कुमार पांडेय एवं धन्यवाद ज्ञापन चाइल्डलाइन के समन्वयक तुलसी कुमार साव ने किया।