Move to Jagran APP

नोटबंदी से बैंकों में लटके हैं पीएमईजीपी के 182 आवेदन

कोडरमा: नोटबंदी का असर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम पर भी पड़ा है। जिला स्तर से पूर्व में ही 18

By Edited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 07:28 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2016 07:28 PM (IST)
नोटबंदी से बैंकों में लटके हैं पीएमईजीपी के 182 आवेदन

कोडरमा: नोटबंदी का असर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम पर भी पड़ा है। जिला स्तर से पूर्व में ही 182 आवेदनों को अनुशंसा के साथ बैंकों को भेजा गया था, लेकिन बैंकों में कार्य का बोझ बढ़ने के कारण आवेदनों का निपटारा नही हो पा रहा है। शनिवार को पीएमईजीपी योजना के लंबित आवेदनों को लेकर डीसी संजीव कुमार बेसरा की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में 75 में 66 अन्य लाभुकों का आवेदन अनुशंसा के साथ बैंकों को भेजा गया। हालांकि जिला स्तर पर योजना के लिए लक्ष्य 75 ही है। लेकिन योजना के लिए ऋण सह अनुदान का अंतिम निर्णय बैंक शाखाओं का ही करना है। ऐसे में लाभुकों की परेशानी थोड़ी बढ़ेगी। जबकि पूर्व के वर्षों में जिला स्तर से अंतिम रूप से लाभुकों का चयन किया जाता था। इधर, बैठक के बाद जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक एस बारला ने बताया कि योजना के तहत सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख तथा उद्योग के लिए 25 लाख तक ऋण सह अनुदान देने का प्रावधान है। जिले में 75 लाभुकों को योजना का लाभ दिया जाना है। पिछले माह 182 लाभुकों का आवेदन जिला स्तरीय बैठक में अनुशंसा के साथ बैंकों को भेजा गया है, जिन्हें ऋण देने की प्रक्रिया चल रही है।

loksabha election banner

उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के लाभुकों के लिए 25 फीसद तक का अनुदान देने का प्रावधान है। अनुदान का बंदरबांट ना हो इसके लिए अब अनुदान की राशि तीन वर्ष तक बैंकों में ही पड़ी रहेगी। जबकि केंद्रीय दल द्वारा समय-समय पर कार्यों की जांच की जाएगी। योजना में कहीं गड़बड़ी ना हो इसके लिए विशेष व्यवस्था तथा कई स्तर की जांच की जाती है। बैंकों का भी अहम दायित्व दिया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.