डीएसई समेत दो लिपिकों के निलंबन की अनुशंसा
मामले को लेकर डीडीसी की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल द्वारा भी नियुक्ति में गड़बड़ी के लिए डीएसई,
मामले को लेकर डीडीसी की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल द्वारा भी नियुक्ति में गड़बड़ी के लिए डीएसई, प्रधान सहायक अजीत कुमार व धमेंद्र कुमार को मुख्य रूप से जिम्मेवार माना था। लिहाजा जांच पदाधिकारी डीडीसी व अपर समाहर्ता द्वारा डीसी को दिए जांच प्रतिवेदन में
संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। पूरे मामले में शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी के लिए काउंस¨लग दल में शामिल 16 पदाधिकारियों व कर्मियों को चिह्नित किया गया था। सभी से डीसी स्तर से स्पष्टीकरण पूछा गया।
डीएसई, प्रधान सहायक व धमेंद्र कुमार पर शिक्षण कार्य के लिए निर्गत आवासीय प्रमाण पत्र के आधार पर महिला अभ्यर्थियों को गलत तरीके से आरक्षण का लाभ देकर मेधा सूचि तैयार करने, अंकों में हेराफेरी कर अंको में बढ़ोत्तरी कर चयन करने, नर्सरी शिक्षा प्रमाण पत्र के आधार पर प्रारंभिक मध्य विद्यालय में नियुक्ति के लिए चयन करने का गंभीर आरोप है। जांच में पाया गया कि डीएसई समेत कर्मियों पर शिक्षक नियुक्ति में जान-बुझकर गड़बड़ी व अनियमितता बरती गई।
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स्पष्टीकरण के जवाब से भी घिरे डीएसई
कोडरमा : जिले में शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी के मामले में अधिकतर पदाधिकारी व कर्मियों के स्पष्टीकरण के जवाब से भी डीएसई घिर गए हैं। नियुक्ति के लिए काउंस¨लग दल में शामिल अधिकतर पदाधिकारियों व कर्मियों ने नियुक्ति में गड़बड़ी के लिए डीएसई पर ठिकरा फोड़ा है। कार्यपालक दंडाधिकारी द्वारा एक मामले को संदिग्ध बताने के बाद भी डीएसई द्वारा चयन करने के मामले भी प्रकाश में लाया गया है। विशेष जांच दल ने इस अभ्यर्थी के प्रमाण पत्र जाली पाया है। वहीं मामले को लेकर संबंधित काउंस¨लग दल से स्पष्टीकरण पूछा गया है।
स्पष्टीकरण में पदाधिकारी ने उक्त अभ्यर्थी के चयन को लेकर डीएसई को जिम्मेवार बताया गया है। मामले में काउंस¨लग दल के पदाधिकारी कार्यपालक दंडाधिकारी ने संबंधित अभ्यर्थी का जाति प्रमाण पत्र 2003 के होने पर रजिस्ट्रर में संदिग्ध होने का उल्लेख किया था। कहा गया था कि जाति प्रमाण पत्र में क्रिमीलेयर का उल्लेख नही है, जबकि प्रमाण पत्र झारखंड सरकार के फॉर्मेट में भी नही था। पदाधिकारी के द्वारा कहा गया है कि उक्त मामले में सवाल उठाये जाने के बाद भी समय और संसाधन का समुचित उपयोग कर काउंस¨लग मंडल के संदेहों का निराकर बिना डीएसई द्वारा उक्त मामले में संपूष्टी की गई। साथ ही कहा है कि काउंस¨लग दल का काम सिर्फ मूल अभिप्रमाणित प्राप्तांकों का मिलान कर रजिस्टर में दर्ज करना था। जबकि मेधा सूचि बनाने की जिम्मेवारी डीएसई की थी ना कि उनके दल की। वहीं अन्य कर्मियों व पदाधिकारियों का स्पष्टीकरण का जवाब से भी डीएसई की परेशानी बढ़ सकती है।
एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि वे दंडाधिकारी के रूप में थे। नियमों की स्पष्ट जानकारी उन्हें नहीं दी गई थी। मेधा सूचि बनाने की जिम्मेवारी उनकी नहीं, बल्कि डीएसई की थी। बहरहाल शिक्षकों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा भी विशेष जांच दल को दिए लिखित बयान से डीएसई की परेशानी बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। माना जा रहा है जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
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27 मामले मिले थे गड़बड़ी के
कोडरमा : डीडीसी की अध्यक्षता में गठित जांच दल ने शिक्षक नियुक्ति के 27 मामलों को संदिग्ध बताया था। इसमें सभी अभ्यर्थियों से स्पष्टीकरण पूछा गया था। कुछ के जवाब संतोषजनक पाए जाने पर उन्हें क्लीन चीट दे दी गई। जबकि कुछ मामलों को लेकर कार्मिक विभाग से दिशा-निर्देश मांगा गया है। वहीं कुछ नवचयनित शिक्षकों को चयनमुक्त भी कर दिया गया है।