मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन: शशि
कोडरमा: झारखंड अनुसचिवीय कर्मचारी संघ के जिला सामाहरणालय संवर्ग के कर्मी 18 सूत्री मांगों को लेकर सो
कोडरमा: झारखंड अनुसचिवीय कर्मचारी संघ के जिला सामाहरणालय संवर्ग के कर्मी 18 सूत्री मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालिन हड़ताल पर चले गये। इससे जिला मुख्यालय, अनुमंडल, प्रखंड व अंचलों में आम जनता से जुड़े कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। इधर, हड़ताली कर्मियों ने समाहरणालय के समक्ष धरना पर बैठकर सरकार के रवैये के पर आक्रोश व्यक्त किया। जिलाध्यक्ष शशि पांडे ने कहा कि जिला, प्रखंड, अनुमंडल व अंचलों में कार्यरत लिपिक व प्रधान लिपिक अथक मेहनत के बाद भी अधिकार से वंचित हैं। वर्षों से सरकार के समक्ष कर्मियों के जायज मांगों को रखने के बाद भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। इससे कर्मी उपेक्षित महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि कर्मियों की मांगों पर विशेष कमेटी द्वारा अनुशंसा की गई है। सरकार स्तर से अनुमोदन देकर वित्त विभाग को भेजा गया है। लेकिन पिछले पांच माह से वित्त विभाग में मामला लटका है। इसमें सरकार भी सक्रियता नहीं दिखा रही है। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। धरना में सचिव राजकुमार दास, तरूण कुमार लाल, प्रमोद कुमार बख्सी, गौरव कुमार सिन्हा, निरंजन कुमार, अनिता देवी, जितेंद्र कुमार सिन्हा, भुनेश्वर राम, सहदेव राम, प्रेम कुमार, किसलय कुमार, मनोज कुमार चंचल, शशिकांत मणी, जितेंद्र ¨सह, विपिन कुमार, गिरधारी प्रसाद, मनोज कुमार सिन्हा, अजय पांडे, टेनी दास, राकेश रौशन, महेश कुमार, निरंजन कुमार, लालधारी राम, दिलीप कुमार आदि मौजूद थे।
कई संगठनों ने किया मांगों का समर्थन
कोडरमा: कर्मियों के मांगों को लेकर हड़ताल को कई कर्मचारी संगठनों से समर्थन किया है। साथ ही मांगों को जायज बताते हुए अविलंब सरकार से पहल की मांग रखी है। इसमें झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र तिवारी, विद्युत सप्लाई वर्कस युनियन के केंद्रीय सचिव विजय ¨सह ने धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मियों के मांगों को जायज बताया। कहा कि सरकार यदि कर्मियों के विरूद्ध कोई कार्रवाई करती है तो सभी संघ सरकार के विरूद्ध खड़े होंगे। वहीं दूसरी ओर कोडरमा जिला मजदूर कर्मचारी समन्वय समिति ने भी मांगों के पक्ष में समर्थन किया है। जिला संयोजक रामरतन अवध्या ने कहा है कि राज्य सरकार कर्मियों के अधिकारों पर लगातार शोषण कर रही है। वर्षों से लंबित मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।