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कोडरमा में 67 फीसद हो रहे बाल विवाह

कोडरमा: बाल विवाह कानूनी अपराध है। बावजूद जिले में कानून को ताख पर रखकर जिले में बाल विवाह में ते

By Edited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 09:33 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 09:33 PM (IST)
कोडरमा में 67 फीसद हो रहे बाल विवाह

कोडरमा: बाल विवाह कानूनी अपराध है। बावजूद जिले में कानून को ताख पर रखकर जिले में बाल विवाह में तेजी से हो रही है। वर्तमान में जिले में हो रहे विवाह में 67 फीसद विवाह के मामले हैं। इस आंकड़े के अनुसार राज्य में कोडरमा का स्थान तीसरा है। जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड सतगावां में यह प्रतिशत 82 है। यह न सिर्फ ¨चता का विषय है, बल्कि समाज के लिए भी गंभीर संकट का कारण बन रहा है। शनिवार को जिला समाहरणालय सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में आयोजित बाल विवाह पर रोकथाम के लिए कार्यशाला में ऐसे मामला सामने आए हैं। इस संबंध में बच्चों के मामलों में कार्य कर रही संस्था क्रेज एवं टीएनएससीआर के राज्य प्रतिनिधि यू सेनगुप्ता ने जब अपना सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया तो पदाधिकारी भी दंग रह गए। बताया गया कि हालात यही रहा तो स्थिति और भी चिंताजनक हो जाएगी। वर्तमान में समाज में महिलाओं व बच्चों में कई तरह की बीमारियों व शिशु मृत्यु दर बढ़ने के पीछे बाल विवाह प्रमुख कारण है। शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण इलाके में बाल विवाह कहीं अधिक है। लिहाजा इस पर रोक के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मौके पर मुख्य रूप से उपस्थित जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार ¨सह ने कहा कि पूर्व के समय की अपेक्षा आज ऐसे मामलों पर रोक के लिए शक्ति भी है और साधन भी। जबकि पूर्व में महापुरुषों ने सिर्फ इच्छाशक्ति से बाल विवाह पर रोक के लिए आंदोलन छेड़ा था। ऐसे में पदाधिकारियों को कानून के तहत अपनी शक्ति का भी इस्तेमाल करने की जरूरत है। बीडीओ को इसके लिए पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में लोगों को इस दिशा में जागरूक बनाने की भी जरूरत है, ताकि बाल विवाह पर रोक लगाई जा सके। उन्हें स्वयं भी सतगावां व बेंदी जैसे गांवों में जाकर लोगों को अधिकार के बारे में जानकारी देने की इच्छा जताई। उन्होंने सभी को आगे आने की अपील की। इस मौके पर डीसी छवि रंजन ने कहा बाल विवाह के भयंकर प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बाल विवाह के कारण ही आज सामाजिक समस्याएं सबके समक्ष है। ऐसे में बीडीओ व सीडीपीओ अपने दायित्वों पर गंभीरता से कदम उठाये। जिप अध्यक्ष महेश राय ने भी लोगों को बाल विवाह पर रोक के लिए आगे आने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान के मनोज दांगी ने किया। इसके पूर्व कार्यशाला में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ने एसके द्विवेदी ने बाल विवाह पर प्रकाश डाला। इस मौके पर प्रमुख शालिनी गुप्ता, राजकुमार यादव, महेंद्र यादव, के अलावा सभी सीडीपीओ, बीडीओ व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। वहीं इस आयोजन में स्वंय सेवी संस्था क्रेज, आरजेएसएस, सीएनएससीआर का योगदान रहा।

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बाल विवाह का विरोध करनेवाली छात्रा सम्मानित

कोडरमा: कार्यशाला में सतगावां के पोखरडीहा ग्राम की छात्रा शोभा कुमारी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सम्मानित किया। वहीं डीसी छवि रंजन ने भी उसे प्रोत्साहित किया। यह छात्रा 9वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान अपनी विवाह का विरोध यह कहकर किया की वह अभी बालिग नहीं है। स्वंयसेवी संस्था राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान ने इसपर पहल किया और छात्रा के परिजनों से बात कर उन्हें समझाने में भी सफलता पाई। आज छात्रा मैट्रिक पास पर इंटर विज्ञान की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने पदाधिकारियों को बताया कि उस समय उसकी विवाह हो जाती तो शायद वे पढ़ भी नहीं पाती। छात्रा के पिता भी कार्यशाला में पहुंचकर पुत्री के निर्णय पर गौरवान्वित महसूस किया। पदाधिकारियों ने छात्रा को हौसला आफजाई करते हुए दूसरों को भी प्रेरित करने को कहा।


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