जीवन में धर्म अति आवश्यक: विशुद्ध सागर जी
झुमरीतिलैया : श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में सोमवार से 64 ऋद्धि मंडल विधान विविध कार्यक्रमों के साथ
झुमरीतिलैया : श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में सोमवार से 64 ऋद्धि मंडल विधान विविध कार्यक्रमों के साथ शुरू हुआ। सुबह में मंडप शुद्धि, सकलीकरण, दिव्य वंदना, अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजन का आयोजन किया गया। विधान में सैकड़ों की संख्या में श्री दिगंबर समाज के महिला-पुरुष शामिल हुए। विधान जैन मुनि श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज एवं क्षुल्लक 105 तत्व सागर जी महाराज सानिध्य में किया जा रहा है। विधान में मुनि श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि धर्म की परम आवश्यकता है। धर्म के बिना जीवन सुना है और धर्म से शहद समतुल्य है। भारतीय जीवन की विशेषता और आनंद का सोत धर्म है। जीन की गहराई से समझने के लिए धर्म की पावन गंगा में स्नान करना परम आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब कोई मनुष्य दिशाहीन व पतित हो जाता है और दर्द से कराहने लगता है तब धर्म एक नई दिशा देता है। जीवन के पहलुओं में अनेक विपत्तियां है। संपत्तियों का भी समावेश है। वैसे यदि धर्म का वजूद मानव जीना है। माथे पर तिलक जैसे हो तो मनुष्य सूर जैआ आलोकित जीवन प्राप्त करता है। मुनि श्री ने कहा कि कोडरमा में संतों का आगमन प्रफुल्लता का कारण है। यहां जब भी संत आते हैं यहां की समसामाजिक मन से अति प्रसन्न हो उठती है। मन में रोमांच आ जाता है। 64 ऋद्धि विधान मंडल में स्वधर्म बनने का सौभाग्य पदम सेठी, यज्ञ नायक सुरेश झांझरी, इसान इंद्र सुशील कुमार छाबड़ा, सनद कुमार बनने का सौभाग्य कमल सेठी, महेंद्र इंद बनने का सौभाग्य जयकुमार गंगवाल को प्राप्त हुआ। शांति धारा जयकुमार गंगवाल व पदम सेठी ने किया। देर शाम मंदिर परिसर में देर संध्या में भव्य आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शांतिलाल छाबड़ा, राज छाबड़ा, नरेंद्र झांझरी, प्रदीप पांड्या, माणिकचंद सेठी, मनीष सेठी, प्रेम झांझरी, वीणा झांझरी समेत समाज के कई लोग उपस्थित थे।