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बीएसएनएल के अस्तित्व पर संकट के बादल

झुमरीतिलैया: एक समय था जब लैंडलाइन से लेकर मोबाइल सेवा में बीएसएनएल का का एकाधिकार था। लेकिन एक

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 10:01 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 10:01 PM (IST)
बीएसएनएल के अस्तित्व पर संकट के बादल

झुमरीतिलैया: एक समय था जब लैंडलाइन से लेकर मोबाइल सेवा में बीएसएनएल का का एकाधिकार था। लेकिन एक दशक पूर्व का वह समय अब बदल गया है। सरकारी उदासीनता और विभाग के अधिकारियों की घोर उदासीनता के कारण संचार सेवा प्रदान करनेवाली सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी अपनी बदहाली का आंसू बहा रहा है। स्थिति यह है कि बिजली कटने के साथ ही बीएसएनएल के अधिकतर बीटीएस टॉवर ठप हो जाते हैं। बदतर सेवा के कारण अब सरकारी विद्यालय और सरकारी अस्पताल की तरह सरकारी क्षेत्र की इस संचार सेवा से भी लोगों का भरोसा उठ रहा है। वहीं बीएसएनएल की बदहाली का लाभ निजी मोबाइल कंपनियां तेजी से उठा रही है। पहली जुलाई से बिना नंबर बदले सर्विस प्रोवाइडर कंपनी चुनने के विकल्प का सबसे ज्यादा बीएसएनएल के ही ग्राहक टूट रहे हैं। जिले में औसतन प्रतिदिन 20-25 ग्राहक बीएसएनएल के मोबाइल नंबर को कंवर्ट कराकर दूसरी निजी कंपनियों से जुड़ रहे हैं। आम लोगों की बात तो छोड़ ही दें, सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को भी अब सरकारी कंपनी बीएसएनएल पर भरोसा नहीं रह गया है। ये लोग भी अब अपने सर्विस प्रोवाइडर के रूप में दूसरे निजी कंपनियों का विकल्प चुन रहे हैं। वहीं 20 रुपये में मिलनेवाला बीएसएनएल का सिम लेने के बजाय लोग 50 रुपये में दूसरी निजी मोबाइल कंपनियों का सिम लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इन सबके पीछे सबसे बड़ा कारण बदहाल सेवा है। बीएसएनएल ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सेवा की खराब स्थिति के कारण आये दिन बैंकों का काम ठप रहता है। वहां भी ग्राहक हंगामा करते हैं। इससे बैंकों का भी व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।

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तेजी से टूट रहे ग्राहक, घट रहा राजस्व

बदहाल सेवा के कारण बीएसएनएल के ग्राहक तेजी से टूट रहे हैं। वहीं विभाग के राजस्व में भी भारी गिरावट दर्ज हो रही है। बीएसएनएल के कोडरमा और चतरा जिला के फ्रेंचाइजी गुरुनानक इंजीनिय¨रग झुमरीतिलैया के प्रोपराइटर रंजीत ¨सह ने बताया कि पिछले दस वर्षों से वे जिले में बीएसएनएल के फ्रेंचाइजी चला रहे हैं। वर्ष 2008 से 12 तक जिले में बीएसएनएल लैंडलाइन के 20 हजार उपभोक्ता थे, जो अब घटकर 2200 रह गए हैं। 2011 से 14 तक कोडरमा जिले में ब्रॉडबैंड के 1250 उपभोक्ता थे, जो अब 280 रह गए हैं। मोबाइल पोस्टपेड के उपभोक्ता 2001 से 2014 तक 1800 थे, जो अब 450 रह गए हैं। मोबाइल प्रीपेड के उपभोक्ता 2001 से 14 तक 18000 थे, जो अब 3000 पर पहुंच गए हैं। प्रीपेड के 20 से 25 उपभोक्ता अब प्रतिदिन अपनी सेवा निजी कंपनियों में ट्रांसफर करा रहे हैं। श्री ¨सह ने बताया कि 2013-14 तक कोडरमा जिले के राजस्व संग्रह प्रतिमाह लगभग 60 से 80 लाख था, जो अब घटकर 15 लाख पर पहुंच गया है। इसी तरह चतरा जिले में 2011 में जहां 25 लाख था, वह अब घटकर 4-5 लाख पर पहुंच गया है। उन्होंने बताया बदहाल सेवा के कारण बीएसएनएल की इतनी खराब हालत हो रही है, जबकि यदि अधिकारी चाहे तो व्यवस्था को अविलंब दुरुस्त कर सकते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारीयह सही है कि उपभोक्ताओं की संख्या में कमी आयी है। नए जीएम के आने के बाद व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। जल्द ही सेवा को दुरुस्त किया जाएगा।रविकांत, एचडी मार्के¨टग, बीएसएनएल, हजारीबाग।


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