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31 लाख का स्टांप घोटाला, प्राथमिकी की तैयारी

By Edited By: Published: Wed, 13 Aug 2014 06:59 PM (IST)Updated: Wed, 13 Aug 2014 06:59 PM (IST)
31 लाख का स्टांप घोटाला, प्राथमिकी की तैयारी

3 वर्ष के जांच में मिला मामला, 6 लाख के स्टांप का अता-पता नहीं

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संवाद सहयोगी, कोडरमा : कोडरमा कोषागार में पिछले तीन वर्ष के जांच में 31 लाख के स्टांप घोटाला का पता चला है। इसमें 25 लाख रुपये की गड़बड़ी बैंक चालान में छेड़छाड़ कर की गई है, जबकि शेष छह लाख रुपये के स्टांप का पता नहीं चल पा रहा है। यह जांच वर्ष 2011 से जूलाई 2014 के बीच की गई।

पूरे मामले में कोषागार के प्रधान सहायक अशोक सिंह की भूमिका संदेह के घेरे में है। वहीं प्रधान सहायक के साथ-साथ कार्यालय के अनुसेवक मोहन कुमार व डीड राइटर पीपी सिन्हा की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। डीसी के निर्देश पर एसी अरविंद कुमार मिश्र की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई थी। इस जांच कमेटी में डीडीसी अभय कुमार सिन्हा, प्रभारी कोषागार पदाधिकारी मनोज कुमार दुबे शामिल थे। जांच दल द्वारा अबतक की पूरी रिपोर्ट डीसी को सौंपी जा रही है। जांच रिपोर्ट में पूरे मामले में दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी व वित्त विभाग की विशेष अंकेक्षण दल से मामले की गहनता से जांच कराने की अनुशंसा की जा रही है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में आरोपियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। बहरहाल जांच में यह भी मामला प्रकाश में आया कि गड़बड़ी के दौरान बैंक चालान में छेड़छाड़ कर एक-एक लाख रुपये का अतिरिक्त स्टांप निकासी किया गया है। वहीं वर्ष 2011 में छह लाख के स्टांप का पता नहीं चल पा रहा है, जिसके लिए जांच दल माथापच्ची कर रहे है।

वर्षो से चल रहा था घोटाला

कोडरमा: स्टांप घोटाला का साजिश पिछले दो-तीन वर्षो से चल रहा था। जांच में यह मामला प्रकाश में आया है। कोषागार के कर्मियों के मिलीभगत से बैंक चालान से छेड़छाड़ कर 20 हजार या 60 हजार के चालान को एक लाख साठ हजार बना दिया जाता था। इसी चालान को पारित कर स्टांप की बिक्री की जाती थी। मामले का खुलासा प्रधान सहायक के छुट्टी पर जाने के बाद तब हुआ जब दूसरे कर्मी को इसका प्रभार मिला।

1994 तक के स्टांप की होनी है जांच

कोडरमा: स्टांप निकासी में घोटाले के मामले सामने आने के बाद डीसी ने वर्ष 1994 से अब तक हुई स्टांप बिक्री की जांच कराने की अनुशंसा की है। इसके लिए वित्त विभाग को लिखा गया है। जिला स्तर से गठित जांच दल द्वारा वर्ष 2011 से वर्ष 2014 तक की स्टांप निकासी की ही जांच की जा सकी।


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