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लापरवाही के आरोप में चार विद्युत अभियंता दंडित

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 11:45 PM (IST)
लापरवाही के आरोप में चार विद्युत अभियंता दंडित

कोडरमा: झुमरीतिलैया तिलैया बस्ती रोड स्थित तिरूपति इंगोट प्रा. लि. के मालिक अंकित चौधरी द्वारा विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से विद्युत बोर्ड को 4,33,08221 रुपये चूना लगाने के मामले में बोर्ड ने चार विद्युत अभियंताओं और एक लिपिक को दंडित किया है। इनमें एक विद्युत कार्यपालक अभियंता और तीन सहायक अभियंता और एक रोकड़पाल शामिल हैं। यह जानकारी बोर्ड के संयुक्त सचिव-1 पीके श्रीवास्तव ने झुमरीतिलैया में कार्यरत करप्शन फ्री झारखंड के सदस्य राजन शुक्ला और नित्यानंद प्रसाद द्वारा बोर्ड से आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी में दी है।

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श्रीवास्तव के जवाब के अनुसार बोर्ड ने इस मामले में तत्कालीन विद्युत कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल कोडरमा, कृष्णा प्रसाद को इस मामले में लापरवाही का दोषी का माना है और उन्हें पेंशन नियमावली के नियम 139 (सी) के तहत उनके पेंशन से 15 फीसद की स्थाई कटौती की है। वहीं तत्कालीन विद्युत सहायक अभियंता रामजनम यादव को भी लापरवाही का दोषी मानते हुए उनके गोपनीय चारित्रिक प्रविष्ठि में निंदन और दो वार्षिक वेतनवृद्धि पर संचयात्मक प्रभाव से रोक लगाई गई है। दूसरे सहायक विद्युत अभियंता सुबोध राय को क‌र्त्तव्य में लापरवाही का दोषी पाते हुए उनके भी चारित्रिक प्रविष्ठि में निंदन के साथ तीन वार्षिक वेतनवृद्धि पर संचयात्मक प्रभाव से रोक लगाई गई है। वहीं उस दौरान कार्यरत एक और सहायक अभियंता राज किशोर झा को भी क‌र्त्तव्य में लापरवाही का दोषी पाते हुए पेंशन नियमावली के नियम 139 (सी) के तहत उनके पेंशन में 15 प्रतिशत की स्थायी कटौती की गई है। इसके अलावा इस घोटाले में सर्वाधिक दोषी विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के तत्कालीन रोकड़पाल कामेश्वर प्रसाद को उनके निलंबन अवधि के दौरान जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं देने के साथ पेंशन में दस प्रतिशत की कटौती का दंड दिया गया है।

सनद हो कि आयरन फैक्ट्री तिरुपति इंगोट कंपनी के मालिक द्वारा बोर्ड को विद्युत विपत्र के विरुद्ध लगभग दस अलग-अलग तिथि में उक्त रकम के चेक दिये गए थे जो विभाग के लिपिक एवं अन्य अधिकारियों की संलिप्तता के कारण छह माह की अवधि बीत गई थी। वहीं कई चेक खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण बाउंस हो गए थे। विभाग के साथ फर्जीवाड़ा का यह मामला फिलहाल कोडरमा व्यवहार न्यायालय में विचाराधीन है।


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