कई महत्वपूर्ण पद रिक्त, अधिकारियों पर पड़ा काम का बोझ
खूंटी : जिले में कई महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद रिक्त होने के कारण विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं
खूंटी : जिले में कई महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद रिक्त होने के कारण विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। वहीं, काम का बोझ बढ़ने व समय से काम पूरा नहीं होने पर अधिकारियों पर भी दबाव बढ़ रहा है। अधिकारियों का गुस्सा मातहत कर्मचारियों पर उतर रहा है। तनावग्रस्त अधिकारी व कर्मचारी अब विरोध भी करने लगे हैं। खूंटी प्रखंड के रोजगार सेवकों के सामूहिक त्यागपत्र की पेशकश इसी की झलक है। खूंटी जिला आइएपी के अंतर्गत आता है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों का ध्यान खूंटी पर है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय निर्माण, उपयोग व जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य 31 मार्च है। आठ हजार से अधिक बेघरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवास भी बनवाना है। मुख्यमंत्री योजना के तहत सभी राजस्व ग्राम के पांच शिक्षित बेरोजगारों को दो लाख और महिला स्वयं सहायता समूह को एक-एक लाख की लागत पूंजी देना है। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा व पेंशन संबंधी कार्य अलग से है। अधिकारियों की कमी से इन योजनाओं को पूरा करना असंभव नहीं, मगर मुश्किल अवश्य नजर आ रहा है।
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कुछ सेवानिवृत्त, कुछ स्थानांतरित
जिला समाज कल्याण विभाग के लाल ¨सह कुरील और आइटीडीए के निदेशक कौशल किशोर ठाकुर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं अनुमंडल पदाधिकारी का स्थानांतरण रांची हो गया है। जिला आपूर्ति का प्रभार जिला कल्याण पदाधिकारी संभाल रहे हैं। कार्यपालक दंडाधिकारी रवींद्र गगराई जिला समाज कल्याण के साथ ही अनुमंडल पदाधिकारी के प्रभार में हैं। जिला पंचायती राज पदाधिकारी का भी स्थानांतरण हो चुका है। जिला शिक्षा अधीक्षक का भी स्थानांतरण हो चुका है। जिला शिक्षा पदाधिकारी भलेरियन तिर्की वर्तमान में जिला शिक्षा अधीक्षक और जिला सर्व शिक्षा अभियान के कार्यक्रम पदाधिकारी का प्रभार संभाल रहे हैं।
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रिक्त पदों की सूची
अनुमंडल पदाधिकारी, मेसो के आइटीडीए परियोजना निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला निर्वाचन पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, सहित दो अंचल के अंचलाधिकारी का पद भी रिक्त भी है।
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तनाव में हैंअधिकारी और कर्मचारी
जिला में अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी है। एक-एक पंचायत सेवक को कई-कई पंचायतों का प्रभार संभालना पड़ रहा है। राज्य स्तरीय अधिकारी जिला स्तरीय अधिकारी पर लक्ष्य हासिल करने का लगातार दबाव डाल रहे हैं। वित्तीय वर्ष समाप्ति में मात्र एक माह से कुछ अधिक का समय बच गया है। इस कारण जिला स्तरीय पदाधिकारी न चाहते हुए अपने बचाव में न सिर्फ कठोर निर्णय लेने को विवश हैं बल्कि अपने मातहत पर दबाव डाल रहे हैं। कभी सुबह तो कभी रात में बैठक बुला रहे हैं। पंचायत सेवक और रोजगार सेवक भी तनाव से गुजर रहे हैं और अधिकारी के निर्णय का विरोध भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास और शौचालय निर्माण को लेकर मुखिया पर भी दबाव पड़ रहा है। मंगलवार को खूंटी के किसान भवन में मुखिया ने भी दबाव का प्रतिकार दबी जुबान से किया है। बहरहाल अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी विकास और जन कल्याण के लक्ष्य में बाधक बन रही है।