मनरेगा से बदली गुफू गांव की फिजां
तोरपा : झारखंड के सभी 24 जिलों के उपविकास आयुक्त शुक्रवार को प्रखंड की दियाकेल पंचायत में चल रही मनर
तोरपा : झारखंड के सभी 24 जिलों के उपविकास आयुक्त शुक्रवार को प्रखंड की दियाकेल पंचायत में चल रही मनरेगा एवं अन्य विकास योजनाओं को देखने पहुंचे। कई हिस्सों में सूखे व पलायन की खबरों के बीच तोरपा प्रखंड में दिखा कि कैसे मनरेगा के जरिए बदहाली में जी रहे गांवों के लोगों की बेहतरी के लिए रास्ता बनाया जा सकता है। तोरपा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ( मनरेगा ) का सबसे अच्छी तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। मनरेगा के तहत बने डोभा में किसान मछली पालन व सब्जी की खेती कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों को खाने के अलावा जीवन जीने की लिए जरूरी अन्य जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। प्रखंड में मुर्गीपालन, मछलीपालन, सब्जी की खेती सहित आम की बागवानी हो रही है। तोरपा प्रखंड राज्य में मिसाल बना है। राज्य के सभी डीडीसी दियाकेल पंचायत के गुफु गांव पहुंच आम की बागवानी सहित मनरेगा के तहत बने डोभा, तालाब, कुआं व अन्य कार्यो को देखा और जाना कि कैसे मनरेगा योजनाओं से ग्रामीण संतुष्ट होकर अपना परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। इससे पूर्व गुफू गांव पंहुचे डीडीसी की टोली का गांव की महिलाओं ने परंपरागत रूप से स्वागत किया। इसके बाद सभी को गांव में चल रहे कार्यो का भ्रमण कराया गया। दल के साथ बीडीओ प्रभाकर ओझा, प्रखंड के कई अधिकारी तथा प्रदान के प्रेमशंकर, रवि कुमार, राजकुमार सहित कई लोग थे।
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गुफू गांव ने नजीर पेश किया
दल के साथ आए मनरेगा कमिश्नर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि गुफू गांव जिले के लिए मिसाल है। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इस तरह के प्रोजेक्ट राज्य की सभी पंचायतों में व्यवस्था की जाएगी। इस तरह का कार्य कर गुफू गांव ने एक नजीर पेश किया है। अगर हम सभी मिलकर काम करें तो अगले तीन चार सालों में झारखंड के सभी 32615 गांवों हम ऐसा कर सकते हैं। अभी 76 प्रखंडों में काम चल रहा है, 50 प्रखंडों में सरकार ने अनुमति दे दी है, बाकी 137 प्रखंडों में जल्द ही इस तरह के काम को शुरू कर कर दिया जाएगा। मौके पर खूंटी जिले के डीडीसी मृत्युजंय कुमार वर्णवाल ने कहा कि किसानों की आमदनी व भरन-पोषण के लिए मिशन मोड में काम किया जाएगा।
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भावुक हुई महिला : भ्रमण के दौरान टीम ने गांव की महिला अनिता देवी से पूछा कि आप पहले क्या करती था तथा मनरेगा से जुड़ने पर आपको क्या फायदा हुआ। इस पर महिला भावुक हो गई, कहा कि आज जो भी हूं, मनरेगा व गैर सरकारी संस्था प्रदान की वजह से हूं। बताया कि हमारी खेत व जमीन मेरे पति गिरवी रख कर राज्य के बाहर रोजगार की तलाश में निकल गए थे। बहुत दिनों तक वे परिवार से दूर रहे। पांच साल पहले प्रदान ने मेरे खेत में आम की बागवानी करने को कहा, जिसे मैं किसी तरह मान कर की। आज उसी की वजह से अपनी गिरवी जमीन को छुड़ा पाई, बेटी की शादी तथा पति को भी खोज कर ला पाई। आज मैं खुशहाल जीवन जी रही हूं।