डेढ़ साल से गायब कनीय अभियंता
कुंडहित : केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा का दारोमदार एवं इसे जमीन पर उतारने की जिम्मेवारी पर्यवेक्षक एवं अधिकारियों पर है। लेकिन इन दोनों के बगैर यदि योजना संबंधी कार्य चल रहा है तो इसके गुणवत्ता का आकलन किया जा सकता है। कुंडहित प्रखंड में मनरेगा को संचालित करने के लिए पदस्थापित कनीय अभियंता करीब डेढ़ साल से क्षेत्र के गायब हैं। इसके कारण काम तो किसी तरह करा लिया जा रहा है लेकिन जब मजदूरी भुगतान का मामला आता है तो मामला लटक जाता है।
बता दें कि 25 मई 2010 को श्यामाकांत कार्तिकेय ने कुंडहित प्रखंड में बतौर कनीय अभियंता योगदान दिया और बाबूपुर, गायपाथर एवं वनकाटी पंचायत में मनरेगा को संचालित करने की जवाबदेही दी गई। उन्होंने अक्टूबर 2010 तक कार्य किया। लेकिन नवंबर में कार्तिकेय इलाज कराने की बात कहकर जो गए अभी तक उनके दर्शन नहीं हुए। 25 फरवरी 2011, 24 मार्च 2011, 23 जुलाई 2011 एवं 13 अगस्त 2012 को बनारस से एक पत्र भेजकर उन्होंने वेतन भुगतान की मांग की। इसके पूर्व वे नारायणपुर में पदस्थापित थे। जहां से पूर्व में एलपीसी लाने के बाद वेतन का भुगतान कर दिया गया था। लेकिन प्रखंड कार्यालय में सेवा पुस्तिका नहीं रहने के कारण विभाग को उनके बारे में कोई सूचना भी नहीं है।
वर्जन
- हमलोगों ने काफी प्रयास किया लेकिन अभी तक कोई पता नहीं लग सका। प्रखंड में सेवा पुस्तिका उपलब्ध नहीं रहने के कारण उक्त कनीय अभियंता का सही पता नहीं चल पा रहा है। उनके पास प्रखंड के चार पंचायतों का प्रभार है लेकिन उनके अनुपस्थित रहने से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
श्रीमंत सोरेन
बीडीओ
कुंडहित
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