भूख से तड़प रही बुढ़ी मां को है बेटे का इंतजार
जामताड़ा : मां एक शब्द ही नहीं बल्कि पूर्ण अहसास है। इस शब्द के उच्चारण मात्र से व्यक्ति के अंदर भावनात्मक अनुभूति का संचार होने लगता है। आज पूरा विश्व मदर्स डे मना रहा है वहीं इस समाज में ऐसे कपूत भी है जो मां के हृदय को न सिर्फ आहत करते हैं बल्कि उन्हें शारीरिक व मानसिक यातना देने से भी गुरेज नहीं करते हैं। ऐसा ही एक वाकया शहर में भी देखने को मिला। अपने ही घर के पीछे खुले आसमान के नीचे चार दिनों से भूखी-प्यासी बैठी बूढ़ी मां अपने ही बच्चों को धिक्कार रही है। लाखों की संपत्ति होने के बावजूद इस बूढ़ी मां के नसीब में अनाज का एक दाना तक नहीं है जबकि दो बेटे, पोते-पोतियों से भरा पूरा परिवार है। स्व. राजदेव दुबे की पत्नी इस हालत में यदि भूखे मर जाए तो आश्चर्य की बात नहीं। धन्य है वो बेटा भी जो मां को घर के बाहर निकालकर खुद चैन से सो रहा है। जागरण की नजर जब विलाप करती इस महिला पर पड़ी तो उनके सिसकियों का कारण जानने पहुंचा। वृद्धा ने अपनी आप बीती सुनाई जो किसी को मर्माहत कर सकता है। जिन बच्चों को नौ माह कोख में रखने के बाद चार वर्षो तक अपना दूध पिलाया। उसी ने घर से बदर कर दिया। जिसकी हालत पर दूसरे लोगों को दया आती है पर इनके बेटों को कोई मलाल नहीं। वृद्धा की पोती बगल के गांव में वार्ड सदस्य है पर एक बार हाल तक नहीं पूछने आई। पड़ोस के लोगों ने इसकी जानकारी थाना को दी पर पुलिस ने भी इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। आसपास के लोगों द्वारा दिया जाने वाला भोजन वृद्धा को मंजूर नहीं है। कहा कि जब अपना बेटा एक निवाला नहीं देता है तो दूसरे के दिए भोजन पर कितने दिन गुजारा करूंगी। लोग चाहते है कि जिला प्रशासन इस मामले में हस्तक्षेप करें और वृद्धा को उसका अधिकार दिलाए और बेटों को दंडित भी करें ताकि भविष्य में कोई बेटा मां का अपमान करने से पहले गंभीरता से सोच विचार कर लें।
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