बंजर भूमि में हरियाली का मंजर
-द्वितीय हरित क्रांति का जामताड़ा जिले में सुखद आगाज, 5594 हेक्टेयर परती भूमि में लहलहा रही फसल
-द्वितीय हरित क्रांति का जामताड़ा जिले में सुखद आगाज, 5594 हेक्टेयर परती भूमि में लहलहा रही फसल
-कृषि विभाग व आत्मा के सहयोग से रैयतों ने शुरू की दलहन, तिलहन व मोटे अनाज की खेती
-चार हजार किसानों के चेहरों पर समृद्धि व खुशहाली की आभा
फोटो : 20, 21
प्रमोद चौधरी, जामताड़ा
जामताड़ा जिले के सुदूरवर्ती इलाकों में द्वितीय हरित क्रांति के सुखद आगाज की तस्वीर दिखने लगी है। ¨सचाई की कमी से सैकड़ों हेक्टेयर भूमि जो चार-छह माह पहले तक बंजर बनी हुई थी, आज रैयत की लगन व मेहनत के बूते फसल से लहलहा रही है। इससे न सिर्फ हरियाली लाने में सफलता मिली बल्कि आर्थिक समृद्धि की नई राह भी तलाश ली गई। बंजर, परती व टांड़नुमा 5594 हेक्टेयर भूमि पर फिलहाल दलहन, तिलहन व मोटे अनाज की खेती की गई है। इस सपने को साकार करने में किसानों को कृषि विभाग व आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) से भी भरपूर सहयोग मिला। दरअसल इन दोनों सरकारी एजेंसियों ने ही बंजर भूमि को पहले चिह्नित कर उसपर वर्षा जल आधारित खेती करने का जज्बा किसानों में भरा।
परिकल्पना हुआ साकार: दरअसल, राज्य के मुख्य सचिव की परिकल्पना थी कि राज्य भर में जिलावार परती व बंजर भूमि को खेती योग्य बनाया जाए ताकि उस क्षेत्र के किसानों में समृद्धि, खुशहाली के साथ रोजगार की क्षमता बढ़े। पूर्वी भारत में द्वितीय हरित क्रांति की योजना के विस्तार के तहत ही परती भूमि को फसल युक्त बनाने की मुहिम छेड़ी गई है। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए कृषि विभाग व आत्मा ने पहले पूरे जिले की परती व बंजर भूमि का सर्वे कराया। इसमें किसान मित्रों व बीटीएम का भी सहयोग लिया गया। सर्वे के दौरान जिले में 12999 हेक्टेयर परती व बंजर भूमि चिह्नित कर उसके रैयत को सूचीबद्ध किया। फिर उन्हें वर्षा जल पर आधारित खेती करने को प्रेरित किया गया।
अरहर, मूंग, सरसों, ज्वार, बाजरा, कुदरूम की खेती : कृषि विभाग की मानें तो परती व बंजर 5594 हेक्टेयर भूमि में से 2250 हेक्टेयर में दलहन में अरहर, मूंग, 300 हेक्टेयर में तिलहन व शेष 3044 हेक्टेयर में मोटे अनाज के तौर पर ज्वार, बाजरा आदि की खेती की गई है। अगले दो महीने में ये सारी फसलें कट जाएगी और लगभग चार हजार किसानों के घरों में खुशहाली के साथ समृद्धि भी बढ़ेगी।
--क्या मिला सरकारी सहयोग : विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि पूरी जमीन किसानों की है। सभी छह प्रखंडों में परती जमीन पर खेती की जा रही है। अधिकांश किसानों ने बीज की व्यवस्था भी खुद किया। कहीं-कहीं आत्मा के सहयोग से किसानों को बीज भी उपलब्ध कराई गई। सरकारी सहयोग के नाम पर सभी परती भूमि पर जुताई का कार्य कृषि विभाग ने कराया है। ट्रैक्टर से बंजर व परती भूमि की जुताई कराई गई है। प्रति हेक्टेयर 2500 रुपए का भुगतान सरकार की ओर से किया जाएगा। हालांकि इस राशि का आवंटन अभी तक इस जिला को नहीं मिल पाया है। विभागीय दावे के मुताबिक जुताई में कुल 92 ट्रैक्टर लगाए गए थे।
--क्या कहते हैं किसान : बतौर उदाहरण नारायणपुर प्रखंड के लोहरंग को लें तो वहां आठ एकड़ बंजर भूमि में किसान मिलकर अरहर, मूंग व कुदरूम की खेती कर रहे हैं। दो माह में फसल तैयार भी हो गयी है। वह भी मानों बंजर मैदान में हरियाली की चादर बिछी हो। खेती से उनके घरों में खुशहाली भरी है और आत्मनिर्भरता भी बढ़ रही है। किसान विशेश्वर मरांडी, होपना, सनातन, माखन मरांडी ने बताया कि यहां बारह किसान मिलकर खेती कर रहे है। अनुमान है कि 10 क्विंटल अरहर, पांच क्विंटल मूंग व दो क्विंटल कुदरूम की पैदावार होगी। बताया कि आत्मा से मुफ्त बीज मिला है, वहीं कृषि वैज्ञानिक संजीव कुमार ने भी काफी सहयोग किया। किसानों ने कहा कि अगर पटवन की सुविधा होती तो सब्जी व फूल की खेती भी संभव हो जाती।
शेष चिह्नित भूमि पर भी होगी खेती : परती व बंजर भूमि में खेती कर किसानों को समृद्ध करने के उद्देश्य से जिले के 5594 हेक्टेयर में दलहन, तिलहन व मोटे अनाज की खेती कराई जा रही है। लगभग चार हजार किसान इससे लाभान्वित होंगे। मुख्य सचिव का निर्देश था कि कोई जमीन परती न रहे। उक्त निर्देश पर सर्वे कराकर कुल 12999 हेक्टेयर बंजर व परती भूमि चिह्नित की गई। शेष चिह्नित भूमि पर भी हरियाली लाने का प्रयास किया जाएगा। किसानों को प्रति हेक्टेयर 2500 रुपए का सहयोग दिया जाएगा। इस राशि का आवंटन अभी नहीं मिला है। - अजय कुमार ¨सह, जिला कृषि पदाधिकारी।