जामताड़ा के चार बूथ पर नहीं पड़ा एक भी वोट
फोटो न. 64,65, 67,68,69
-दुमका लोकसभा क्षेत्र में
आता है सुद्राक्षीपुर, घाटपारुलिया व माड़भांगा गांव
-सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन हैं यहां से सांसद
-गांव की समस्याओं का समाधान न होने से नाराज थे ग्रामीण
कुंडहित (जामताड़ा) : बिजली, सड़क, रोजगार, इंदिरा आवास आदि से संबंधित समस्याओं का समाधान न होने से नाराज तथा गांव में बूथ बनाने की मांग को लेकर सुद्राक्षीपुर, घाटपारुलिया व
माड़भांगा के ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार किया। इसके चलते बूथ संख्या 160, 161, 162 तथा 163 पर एक भी वोट नहीं पड़ा। मतदानकर्मी वोटरों के इंतजार में दिनभर बैठे रहे। अंत में वहां से मतदान सामग्री लेकर लौट गए। वोट बहिष्कार की घोषणा ग्रामीणों ने पूर्व से कर रखी थी। इससे संबंधित खबर भी दैनिक जागरण में छप चुकी है।
घाटपारुलिया के बूथ नंबर 160 के बाहर सुबह में सैकड़ों ग्रामीण जमा हो गए व वोट बहिष्कार संबंधी नारा लगाने लगे। बीडीओ अरविंद कुमार ओझा, एलआरडीसी सरिता दास, सांख्यिकी पदाधिकारी अभय कुमार सिंह, कुंडहित थाना प्रभारी कमलेश पासवान एवं बागडेहरी थाना प्रभारी उत्तम तिवारी गांव में पहुंचकर लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए। ग्रामीणों ने कहा अब जबतक गांव की समस्याओं का समाधान नहीं होगा, वोट नहीं देंगे। सुद्राक्षीपुर बूथ संख्या 161 व 162 के वोटरों ने बिजली न रहने के कारण वोट का बहिष्कार किया। प्रशासन ने ग्रामीणों को मनाने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन किसी की नहीं चली। बूथ संख्या 163 से संबद्ध माड़भंागा गांव के लोगों ने गांव में बूथ बनाने की मांग को लेकर वोट का बहिष्कार किया। मतदाताओं को मनाने के लिए डीसीएलआर सरिता दास माड़भांगा पहुंचे। वहां गौर मंदिर में ग्रामीणों के साथ बैठक की लेकिन वे नहीं माने। ग्रामीणों ने कहा कि पहले हमारे गांव में बूथ हुआ करता था लेकिन प्रखंड प्रशासन ने उसे सुद्राक्षीपुर उच्च वि़द्यालय में स्थानांतरित कर दिया। एलआरडीसी सरिता दास ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पूर्व गांव में बूथ बना दिया जायेगा। ग्रामीणों ने इस बात पर असहमति जताते हुए कहा जब बूथ बन जायेगा तभी वोट देंगे। मौके पर बीडीओ अरविंद कुमार ओझा, जोनल मजिस्ट्रेट विक्रम पाठक, सांख्यिकी पदाधिकारी अभय कुमार सिंह, बागडेहरी थाना प्रभारी उत्तम तिवारी, कुंडहित थाना प्रभारी कमलेश पासवान आदि अंत में निराश होकर वापस चले गए।