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माइंस में ढाई किमी तक चेयर लिफ्ट में जाएंगे मजदूर

अंडरग्राउंड माइंस में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कार्यस्थल पर सुविधापूर्वक पहुंचाने को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। टाटा स्टील के तीन कोल माइंस में चेयर लिफ्ट मैन राइडिंग सिस्टम इंस्टॉल किया जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 31 May 2016 06:06 AM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 06:13 AM (IST)
माइंस में ढाई किमी तक चेयर लिफ्ट में जाएंगे मजदूर

भादो माझी, जमशेदपुर। अंडरग्राउंड माइंस में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कार्यस्थल पर सुविधापूर्वक पहुंचाने को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में टाटा स्टील के तीन कोल माइंस में चेयर लिफ्ट मैन राइडिंग सिस्टम इंस्टॉल किया जा रहा है। कोल माइंस में यह सिस्टम स्थापित किये जाने से अब बोगदा के भीतर काम करने वाले मजदूरों को पैदल कार्यस्थल तक नहीं जाना पड़ेगा। माइंस में ढाई किलोमीटर तक की अंडरग्र्राउंड दूरी इस सिस्टम में लगे चेयर में बैठकर की जा सकेगी।

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पिछले दिनों एसएनटीआइ बिष्टुपुर में एक कार्यक्रम के दौरान टाटा स्टील झरिया डिवीजन (माइंस एंड मेटल्स) के सीनियर मैनेजर (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) सुनील कुमार केसरवानी ने बताया कि इस सिस्टम को इंस्टॉल करने से माइंस में अंडरग्राउंड आवाजाही आसान हो जाएगी और मजदूर 'चेयर लिफ्ट मैन राइडिंग सिस्टम में बैठ कर आराम से कार्यस्थल तक जा सकेंगे।

झारखंड के सिजुआ कोलियरी, डिगवाडीह कोलियरी व धनबाद स्थित 6-7 पिट कोलियरी में इस मैकेनिज्म को इंस्टॉल किया जा रहा है। इसमें से डिगवाडीह व 6-7 पिट कोलियरी में 30 सितंबर तक चेयर लिफ्ट सिस्टम का इंस्टॉलेशन पूरा किया जाना है तो सिजुआ में इंस्टॉलेशन पूरा करने की डेडलाइन गत माह ही थी। इससे मानव संसाधन का श्रम जाया नहीं होगा, वहीं सुरक्षा भी बेहतर हो पाएगी। पिछले दिनों टाटा स्टील झरिया डिवीजन के अधिकारियों ने कंपनी के तीनों माइंस में चल रहे इस इंस्टॉलेशन प्रोजेक्ट का मॉडल डिटेल एसएनटीआइ में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन को भी दिखाया था।

रोपवे की तरह काम करेगा सिस्टम

गौरतलब है कि अब तक माइंस के भीतर मजदूर कार्यस्थल तक पैदल ही जाया करते थे। चूंकि यह अंडरग्राउंड आवागमन का सुगम तरीका होगा, सहज सी बात है कि इससे सुरक्षा भी बढ़ेगी। कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोग आपातकाल में बाहर निकाले जा सकेंगे। यह सिस्टम बिल्कुल रोपवे की तरह काम करता है। इसके तहत अंडरग्राउंड माइंस में रोपवे की ही तरह तार लगाये जाते हैं, जिन पर ये चेयर लिफ्ट लगे होते हैं।

एक मजदूर के बैठने की क्षमता वाली इस चेयर लिफ्ट में मजदूर के बैठते ही यह सिस्टम उसे कार्यस्थल तक मोटर की मदद से पहुंचा देती है। इसी तरह एक-एक मजदूर तार पर टंगी चेयर पर बैठ कर अंडरग्राउंड माइंस में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचते हैं।


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