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शिक्षा का अलख जगा रहीं ये महिलाएं

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : ये पांच मुस्लिम महिलाएं हैं, मिशनरी भाव के साथ दृढ़ संकल्पित, स

By Edited By: Published: Sun, 24 Jul 2016 03:03 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 03:03 AM (IST)
शिक्षा का अलख जगा रहीं ये महिलाएं

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : ये पांच मुस्लिम महिलाएं हैं, मिशनरी भाव के साथ दृढ़ संकल्पित, सभी धर्मो के गरीब बच्चों को शिक्षित करने के कार्य में प्राणपण से जुटी हैं। इसके लिए जुगसलाई के पुरानी बस्ती रोड स्थित साबिर अली के घर में 'बाग-ए-अजीजी' नामक स्कूल खोल रखा है। वर्ष 2003 से लेकर 2006 तक बच्चों की संख्या 20 के आस-पास थी, लेकिन शिक्षिकाओं की मेहनत व मुहल्लों में जाकर बच्चों को स्कूल जाने के प्रति जागरूक करने के कारण आज इस स्कूल में 180 बच्चे नामांकित हैं। रोजाना 75 प्रतिशत से अधिक बच्चों की उपस्थिति रहती है। इस स्कूल को 'बाग-ए-अजीजी' महिला संस्था के नाम पर सोसाइटी एक्ट के तहत निबंधित किया गया है। स्कूल की संचालिका नाजनीन बारी बताती हैं कि बच्चे यूनिफॉर्म में आते हैं, ये यूनिफॉर्म बच्चों के अभिभावक खरीदते हैं। बकायदा अन्य स्कूलों की तरह डायरी मेंटेन की जाती है। यहां उनके अलावा जीसा तहसीमा, सबा मसीरा, शफीना मंसूरी व सिरा इरा नामक महिलाएं शिक्षिका के रूप में कार्यरत है। इस स्कूल को सहयोग करने वाले कई लोग हैं, जो समय-समय पर स्कूल के बच्चों को पठन सामग्री उपलब्ध कराते हैं। इन लोगों की मदद से ही बिजली बिल व घर किराये का भुगतान किया जाता है। बच्चों से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। इसके बावजूद बच्चे पढ़ने आते हैं। शिक्षिकाएं स्कूल के प्रति समर्पण का भाव रखती हैं ताकि बच्चे शिक्षित हो सकें। यहां फिलहाल सात तक की कक्षाएं चलती हैं। इसके बाद बच्चे अन्य स्कूलों में चले जाते हैं। बच्चे अगर अन्य स्कूलों में नहीं जाना चाहते हैं तो उन्हें नेशनल ओपेन स्कूल के माध्यम से मैट्रिक भी कराया जाता है। इस स्कूल में बागबेड़ा व जुगसलाई क्षेत्र के गरीब बच्चे आते हैं।

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सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण भी निशुल्क

बाग-ए-अजीजी महिला संस्था की देखरेख में जुगसलाई में ही सिलाई-कढ़ाई का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। स्कूल में पढ़ाने वाली महिलाएं ही यह कार्य दोपहर के समय में करती हैं। 10 बालिकाओं या फिर महिलाओं के समूह को यह काम सिखाया जाता है, अकेली महिला या बालिका को नहीं। इनमें अधिकतर बागबेड़ा, जुगसलाई के अलावा सुंदरनगर की आदिवासी महिलाएं होती हैं। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर कई महिलाओं ने स्वरोजगार शुरू कर दिया है। इस प्रशिक्षण के दौरान अगर किसी महिला को अक्षर ज्ञान नहीं है तो उन्हें साक्षर भी बनाया जाता है।

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उर्दू में डिप्लोमा भी निशुल्क

बाग-ए-अजीजी स्कूल में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी निश्शुल्क संचालित करता है। इसके लिए एक शिक्षक पढ़ाने का कार्य करते हैं, जिनका मानदेय परिषद अदा करता है लेकिन पढ़ाई पूरी तरह निश्शुल्क होती है। गरीब बच्चे जो उर्दू सीखना चाहते हैं, वे नामांकन लेते हैं। यह कार्य वर्ष 2014 से हो रहा है।

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निश्शुल्क शिक्षा का उद्देश्य समाज के गरीब बच्चों को शिक्षित करना है, ताकि मानव जन्म को सफल किया जा सके। इस प्रयास में अन्य लोगों का भी साथ मिल रहा है। हमारे छात्र बिना किसी सरकारी मदद के ही पढ़ते हैं। स्कूल सुबह सात बजे से ग्यारह बजे तक चलता है।

-नाजनीन बारी, संचालिका, बाग-ए-अजीजी स्कूल।


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