बेल्डीह में जन्मे ड्यूरेल का पशु प्रेम दिखा
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में बुधवार को वन्यजीव पर सेमिनार क
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में बुधवार को वन्यजीव पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें इंग्लैंड से आए डेनियल क्रेवेन ने अपने विचार रखे। इस दौरान लोयोला स्कूल के छात्रों ने क्रेवेन के विचारों को नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया। यह संयोग रहा कि क्रेवेन का जन्म इसी शहर में हुआ था। इसका खुलासा कार्यक्रम में उपस्थित रोनाल्ड डिकोस्टा ने किया। डिकोस्टा ने बताया कि डेनियल के पिता जेराल्ट ड्यूरेल ने टाटा स्टील, टिनप्लेट, केबुल कंपनी आदि की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यहां से ड्यरेल विदेश चले गए, जहां उन्होंने जर्सी आइलैंड में विलुप्त होते जीव-जंतुओं के संरक्षण को वन्य प्राणी निवास (जू) तैयार किया। वर्ष 1963 में उन्होंने ड्यूरेल वायलट ट्रस्ट की स्थापना की, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1982 में 'ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर' की उपाधि से सम्मानित किया गया। अनेक प्रजातियों का नामकरण उनके नाम पर किया गया। उन्होंने बताया कि आज ड्यूरेल के 60 से ज्यादा प्रोजेक्ट दुनिया के 14 देशों में चल रहे हैं। इनके ट्रस्ट से करीब साढे़ तीन हजार ग्रेजुएट निकले हैं जो पूरी दुनिया में पशुओं के संरक्षक बनकर उभरे हैं।
प्रकृतिवादी जेराल्ड ड्यूरेल ने गार्ड फैमिली एंड अदर एनिमल्स, रोजी इज माई रिलेटिव और जू इन माई लगेज जैसी बेस्ट सेलिंग पुस्तकें लिखीं। उन्होंने बताया कि डेनियल क्रेवेन अगले तीन दिन तक दलमा वन्य जीव क्षेत्र का दौरा कर वहा के प्राणियों को बचाने का तरीका बताएंगे। इसके बाद असम जाएंगे, जहा वे सोवे पिग्मी हॉग को उनके प्राकृतिक निवास पर आजाद करेंगे। इस मौके पर लोयोला के प्राचार्य फादर सेबेस्टियन पुथनपुरा, ललिता सरीन, फादर फिलिप, प्रीति समेत कई पशुप्रेमी उपस्थित थे।