बिष्टुपुरेर मेला खाए भाजा-छोला, चोलो जाबो मेला देखिते..
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंडवासी एकता मंच की ओर से बिष्टुपुर स्थित गोपाल (रीगल) मै
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
झारखंडवासी एकता मंच की ओर से बिष्टुपुर स्थित गोपाल (रीगल) मैदान में शनिवार को विशाल टुसू मेला का आयोजन किया गया, जिसमें जनसैलाब उमड़ा। सुबह से ही मेले में टुसू प्रतिमा व चौड़ल के साथ कलाकारों-ग्रामीणों का आना शुरू हो गया था, जिसमें प. बंगाल व ओडिशा के आदिवासी-मूलवासी भी शामिल थे।
शाम तक मेला चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। इसी समय पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की इंट्री हुई। शहीदों को नमन करते हुए मुंडा मंच पर चढ़े तो माहौल में उल्लास छा गया। उन्होंने जमकर मांदर बजाया। अंत में टुसू गीत 'बिष्टुपुरेर मेला खाए भाजा-छोला, चोलो जाबो मेला देखिते..' और 'कालीमाटीर डुंगरी धारे मेला लागे छे..' के बोल से वर्तमान और अतीत के टुसू का दीदार करा दिया।
हालांकि इस बार सांसद विद्युत वरण महतो ने गीत नहीं गाए, लेकिन उन्होंने भी मांदर पर थाप देकर खूब आनंद लिया। उनके साथ विधायक साधुचरण महतो, गणेश महाली, आस्तिक महतो सभी झूमे। झुमूर संगीत के कलाकारों ने भी खूब समां बांधा। इस मौके पर पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो व सुमन महतो के अलावा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो की पत्नी सविता महतो, पूर्व सांसद शहीद सुनील महतो की माता खांदो देवी, भाजपा नेता अमरप्रीत सिंह काले, महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार, विनोद सिंह, नंदजी प्रसाद, बिल्डर विकास सिंह आदि मंचस्थ थे।
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खांदो देवी को दिए एक लाख रुपये
झारखंडवासी एकता मंच की ओर से पूर्व सांसद शहीद सुनील महतो की माता खांदो देवी को एक लाख एक रुपये दिए गए। मेला के सहसंयोजक विधायक साधुचरण महतो ने कहा कि गोपाल मैदान में टुसू मेला की शुरुआत सांसद सुनील महतो ने की थी। गत वर्ष से मंच खांदो देवी को आर्थिक मदद के रूप में इतनी राशि दे रहा है। साधु ने कहा कि यह सहायता भविष्य में भी जारी रहेगी।
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शहीदों को किया नमन
टुसू मेला के मंच की बायीं ओर शहीदों की तस्वीर लगी थी। आस्तिक महतो ने बताया कि इसमें पहली तस्वीर नीमडीह-चांडिल निवासी रघुनाथ महतो की है, जो झारखंड आंदोलन के पहले शहीद हैं। इनके अलावा भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, शहीद निर्मल महतो, पूर्व सांसद सुनील महतो व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो के चित्र लगे थे। मंच पर उपस्थित होने से पहले अतिथियों ने शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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बलमुचू ने विद्युत-साधु को दी बधाई
विशाल टुसू मेला में सबसे पहले राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप बलमुचू पहुंचे थे। उन्होंने मंच से कहा कि पूर्व सांसद सुनील महतो ने इस मेला की शुरुआत की थी, उसे सांसद विद्युत वरण महतो व विधायक साधुचरण महतो समेत अन्य सभी लोग बधाई के पात्र हैं, जो उनकी कीर्ति को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि यह झारखंड का सबसे बड़ा टुसू मेला है। मेले में उपस्थित संख्या हमारी परंपरा-संस्कृति की मजबूती है।
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काले ने बटोरी तालियां
मंच संचालन कर रहे विधायक साधुचरण महतो ने जब भाजपा नेता अमरप्रीत सिंह काले को आमंत्रित किया, तो उन्होंने अपने संबोधन से खूब तालियां बटोरीं। काले ने पूर्व सांसद सुनील महतो को याद करते हुए झारखंड की संस्कृति को जीवंत करने वाले आयोजकों को बधाई दी।
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इन्होंने भी किया संबोधित : पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो व सुमन महतो, गणेश महाली व भाजपा के महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार। धन्यवाद ज्ञापन झामुमो नेता रोड़ेया सोरेन ने किया।
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टुसू, चौड़ल व बुढ़ी गाड़ी नाच पुरस्कृत
चौड़ल : प्रथम-प्रदीप पुराण, नवयुवक संघ, कुजीयाम्बा (अड़की, खूंटी, रांची), द्वितीय विनोद सिंह (माकुला, राजगोड़ा), तृतीय सागर सिंह मुंडा (शंकराडीह, ईचागढ़), चतुर्थ मां दुर्गा चौड़ल समिति (देवरीडीह, खूंटी, रांची)
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टुसू प्रतिमा : प्रथम शहरी महतो, ग्राम चाडरी (राजनगर, सरायकेला), द्वितीय मुन्ना महंता (मुटुवाईकारी, ओडिशा), तृतीय कंदरू महतो (सोसामोली, राजनगर), चतुर्थ समीर महतो (धरनीगोड़ा), पंचम दिवाकर महतो (खड़ियाडीह, गालूडीह), षष्ठम रवि महतो (पदनामसाई, राजनगर), सप्तम विष्णु महतो (तुमुंग, राजनगर)।
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बुढ़ी-गाड़ी नाच : प्रथम भागवाडीह (ओडिशा), द्वितीय गुरमाई गुड़ी (ओडिशा), तृतीय झुर-झरिया तांगहांड़ी (दामपाड़ा), चतुर्थ आदिवासी सारना अखाड़ा (डेमकाडीह)।
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बिष्टुपुर मेन रोड रहा जाम
टुसू मेला के दौरान गोपाल मैदान में जितनी भीड़ थी, लगभग उतनी मैदान के बाहर भी थी। जिला प्रशासन ने मैदान के चारों ओर रास्तों को बंद या डायवर्ट नहीं किया था, लिहाजा इन रास्तों पर शाम से ही जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। बिष्टुपुर मेन रोड पर नटराज से तलवार बिल्डिंग तक शाम को लंबा जाम लगा रहा, जबकि तुलसी भवन और कदमा की ओर जाने वाली सड़क पर भी आवागमन बाधित रहा। मेला के आयोजकों ने प्रशासन से इस ओर ध्यान देने को कहा। आस्तिक महतो इस बात से भी नाराज थे कि गोपाल मैदान में प्रवेश व निकासी के लिए दो ही गेट खोले गए थे, उत्तरी छोर का गेट बंद रखा गया।