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सुपरवाइजरों ने मांगी स्कूटी, चुप रहे प्रधान सचिव

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : समाज कल्याण विभाग की सुपरवाइजरों ने अपनी रोजाना की दौड़-धूप क

By Edited By: Published: Sun, 22 Jan 2017 02:47 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2017 02:47 AM (IST)
सुपरवाइजरों ने मांगी स्कूटी, चुप रहे प्रधान सचिव
सुपरवाइजरों ने मांगी स्कूटी, चुप रहे प्रधान सचिव

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : समाज कल्याण विभाग की सुपरवाइजरों ने अपनी रोजाना की दौड़-धूप का हवाला देते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव मुखमीत सिंह भाटिया से स्कूटी की मांग की। सुपरवाइजरों ने एक सुर से कहा कि उनके अंडर में 30 से 40 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। 10-15 की रोज निगरानी करनी होती है। उनकी दौड़-धूप का दायरा घर से प्रखंड और फिर वहां से आंगनबाड़ी केंद्रों तक यानि 10 से 15 किलोमीटर है। इसलिए हर एक सुपरवाइजर को स्कूटी दी जाए, लेकिन समाज कल्याण विभाग की योजनाओं की समीक्षा करने आए प्रधान सचिव इस मांग पर पूरी तरह चुप्पी साध गए। सुपरवाइजरों को उनके सवाल के जवाब में ना तो हां सुनाई दिया और ना ही ना। महकमे के प्रधान सचिव मुखमीत सिंह भाटिया विभाग की योजनाओं की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार की शाम को ही जमशेदपुर आ गए थे। उन्हें सुबह 10.00 बजे से ढ़ाई बजे तक सामाजिक सुरक्षा शाखा और तीन बजे से पांच बजे तक समाज कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक करनी थी, लेकिन प्रधान सचिव यह बैठकें करने तकरीबन चार बजे उपायुक्त कार्यालय पहुंचे। बैठक की शुरुआत में ही नौनिहालों के आधार कार्ड का मामला उठा। जीरो से पांच साल के बच्चों के आधार कार्ड के मामले में जमशेदपुर प्रदेश में सबसे नीचे है। 55 फीसद नौनिहाल का ही आधार बना है। प्रधान सचिव ने जिला समाज कल्याण अधिकारी रंजना मिश्रा को निर्देश दिया कि वह एक महीने के अंदर 80 फीसद नौनिहालों का आधार बना डालें। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने विभाग की मुश्किलें बताई। कहा कि केंद्रों पर नौनिहालों के आधार बन गए हैं। शहर में181 केंद्र हैं। बाकी नौनिहाल स्कूलों में हैं। जिले में कुल 42 सुपरवाइजर हैं। सभी सुपरवाइजरों ने अपनी दिक्कतें बताई। कहा कि उनके इलाके में 40-42 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। उन्हें यहां जाकर मोबाइल और टैब के जरिए विभाग को ऑन लाइन रिपोर्ट देनी होती है। इसलिए उनके लिए स्कूटी की व्यवस्था विभाग करे। प्रधान सचिव ने पोषाहार के बारे में राय जानी। उन्हें बताया गया कि आंगनबाड़ी केंद्र पर पकाया गया आहार ज्यादा प्रभावकारी होता है। क्योंकि इसे लाभुक की केंद्र पर खाता है। रेडी टु ईट को घर ले जाया जाता है सो परिवार के सारे लोग खा लेते हैं। सीडीपीओ ने बताया कि उन्हीं को रेडी टु ईट पैकेट दिया जाता है जिनका आधार दर्ज है। सीडीपीओ ने अपने प्रमोशन की बात उठाई।


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