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Environment protection : इनके जज्बे को कीजिए सलाम, इनके दम से छाई है हरियाली Jamshedpur News

Environment protection. आइए कुछ पर्यावरण सेवियों से रूबरू होते हैं जिन्होंने बिना किसी मदद के पौधरोपण को ही अपना मिशन बना रखा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 07:50 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 07:50 AM (IST)
Environment protection : इनके जज्बे को कीजिए सलाम, इनके दम से छाई है हरियाली Jamshedpur News
Environment protection : इनके जज्बे को कीजिए सलाम, इनके दम से छाई है हरियाली Jamshedpur News

जमशेदपुर, जेएनएन।  पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण जरूरी है। पर्यावरण से ही इंसान और दूसरी चीजों का अस्तित्व कायम है। पेड़-पौधे झारखंड की पहचान हैं। अपने कोल्हान प्रमंडल में कई ऐसे पर्यावरण सेवी हैं जिनके प्रयास से चहुंओर हरियाली छाई हुई है। ये समाज के प्रेरणास्रोत हैं। इनके प्रयास को देखकर दिल इन्हें सलाम करने के लिए मचल उठता है। आइए,  ऐसे ही कुछ पर्यावरण सेवियों से रूबरू होते हैं जिन्होंने बिना किसी मदद के पौधरोपण को ही अपना मिशन बना रखा है।

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पश्चिम सिंहभूम के जन्नत हुसैन जहां जाते हैं उस क्षेत्र को पेड़-पौधों से जन्नत की तरह बना देते हैं। अपने 33 वर्ष के करियर में हजारों पौधे लगा चुके हैं। 1987 में प्रोजेक्ट गर्ल उच्च विद्यालय पड़सा में जब पदस्थापित हुए तो एक बंजर पहाड़ नुमा टीले में तीन हजार पौधे लगाए। इनमें अब दो हजार पेड़ बन चुके हैं। जन्नत हुसैन इस वर्ष पांच एकड़ घरेलू जमीन में दो हजार आम का पौधा लगाने वाले हैं। इसके लिए कवायद शुरू कर दी है। परिवार के तीन लोगों को भी इस काम में शामिल कर रखा है। जन्नत कहते हैं कि हरियाली देखकर मन खुशी से झूम उठता है। अब एक साल तक लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित करना ही उनका एजेंडा है। लोगों से अपील करेंगे कि गांव की परती और बंजर जमीन पर अधिक से अधिक पौधे लगाएं।
32 साल में 28 लाख पौधरोपण कर चुकी हैं चामी मुर्मू
सरायकेला -खरसावां के राजनगर प्रखंड की चामी मुर्मू 32 वर्षों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही हैं। झारखंड ही नहीं देश में आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। राष्ट्रपति के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार 2019 से सम्मानित हो चुकी हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए चामी मुर्मू भारत सरकार द्वारा वर्ष 1995 में इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कर से सम्मानित हो चुकी हैं। 32 वर्षों में 780 हेक्टर से अधिक सरकारी, गैरसरकारी एवं बंजर भूमि पर करीब 28 लाख वृक्षारोपण कर चुकी हैं।
एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य
चामी मुर्मू कहती हैं कि जब तक सांसें हैं पर्यावरण संरक्षण का काम करती रहूंगी। इस वर्ष एक लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है। अस्सी हजार पौधे नर्सरी में अब तक तैयार हो चुके हैं। बंजर भूमि, खाली मैदान, कुछ सरकारी एवं गैरसरकारी जमीन को पौधरोपण के लिए चिह्नित कर रखा है।
गांव-गांव चलाएंगे जागरुकता अभियान
इलाके में अधिक से अधिक पौधरोपण हो इसके लिए महिलाओं को साथ लेकर गांव में लोगों को जागरूक करूंगी। जन्मदिन पर एक पौधा जरूर लगाने की अपील करूंगी।
पिता ने काट दिए पेड़ तो पौधरोपण बना इंदल का मिशन
घाटशिला महाविद्यालय के प्रोफेसर इंदल पासवान को पौधरोपण की प्रेरणा 15 वर्ष की उम्र में पिता से मिली। जब बिहार के नालंदा में पिता के साथ खेती के लिए जमीन तैयार कर रहे थे उस दौरान पिता ने 350 पेड़ काट दिए थे। उसी दौरान मन में ख्याल आया कि उसी स्थान पर 350 पेड़ लगाएंगे। ऐसा किया भी। वर्ष 2008 में घाटशिला कालेज में नौकरी के बाद पौधा लगाना शुरू किया। इसके बाद प्रत्येक वर्ष एक हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा। वह घाटशिला के अलावा जामताड़ा में भी पौधे लगा चुके हैं।
इस वर्ष एक लाख पौधे लगाने का रखा है लक्ष्य
इस वर्ष आरएसएस व विश्व हिन्दू परिषद तथा कॉलेज के एनसीसी और एनएसएस के साथ मिलकर एक लाख पौधरोपण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उन्होंने अभी से काम शुरू कर दिया है।
उपहार में लोगों को भेंट करेंगे एक पौधा
इंदल पासवान कहते हैं कि उनका एजेंडा है कि किसी समारोह या पार्टी में वे उपहार स्वरूप एक पौधा देते हैं और देते रहेंगे। इसके अलावा जब भी किसी परिचित के परिवार में निधन हो तो शमशान घाट पर एक पौधा लगाएंगे। जन्मदिन पर पांच पौधा स्वयं लगाने व दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।
पिता से प्रेरणा लेकर लगा डाले 700 पेड़
पश्चिम सिंहभूम के कुमारडुंगी प्रखंड के टुंटाकाटा गांव निवासी सिंगा सिंकु पिता से प्रेरणा लेकर छह एकड़ जमीन पर विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे लगाए हैं। इन पेड़ों से आमदनी कर रहे हैं। आठ वर्ष पहले वे रेडियो टीवी के मैकेनिक थे। पिता ने छोटे से बगीचे में 10 आम के पेड़ लगाए थे। उससे प्रेरित होकर 2011 में पौधरोपण का संकल्प लिया। वे छह एकड़ में 700 पेड़ लगा चुके हैं।
दो एकड़ में करेंगे पपीता की खेती
सींगा सिंकु बताते हैं कि इस वर्ष वह दो एकड़ में पपीता की खेती करेंगे। इसके लिए जमीन तैयार है। बरसात शुरू होते ही पौधे लगाने का काम शुरू कर देंगे। पेड़ लगाने के लिए गड्ढे खोद रखे हैं।
दूसरों को पौधरोपण के लिए करूंगा प्रेरित
सींगा सिंकु कहते हैं कि पौधरोपण समय की मांग है। यह आमदनी का जरिया भी है। इसके लिए पूरे साल लोगों को प्रेरित करेंगे। कोशिश होगी कि गांव का हर बंदा कम से कम एक पेड़ जरूर लगाए।
उत्तराखंड व हिमाचल की वादियों से प्रभावित हो लगाने लगे पेड़
मनोहरपुर प्रखंड के कमारबेड़ा निवासी भरत महतो ने एलएलबी करने के बाद बागवानी को अपना रोजगार का साधन बनाया है। फलदार पेड़ों से होने वाली आय नौकरी से बढ़कर है। 20 साल पूर्व लगभग दो हेक्टेयर जमीन पर सागवान व शीशम के पेड़ लगाए थे। सागवान के 15 हजार पेड़ लगा चुके हैं। वर्ष 2000 में वह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश गए। वहां की वादियों से काफी प्रभावित होकर पेड़ लगाने की जिद ठानी।
महोगिनी के लगाएंगे पांच हजार पौधे
वह कहते हैं कि महाराष्ट्र गए थे। वहां पर महोगिनी के पेड़ों ने काफी प्रभावित किया। इस वर्ष उन्होंने अपनी जमीन पर इसके पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।
बागवानी के लिए करेंगे देश भ्रमण
भरत ने इस वर्ष बागवानी के क्षेत्र में ज्ञान बढ़ाने के लिए देश भर का भ्रमण करने का लक्ष्य रखा है। वे चाहते हैं कि दूसरी जगहों से प्रेरणा लेकर अपने इलाके को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाएं।
 

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