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सुझाव पर अमल नहीं हुआ तो जारी रहेगा एफडीआइ का विरोध

देशी जागरण मंच संघर्ष वाहिनी के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा ने कहा कि हम दुनिया की शर्तों पर विकास नहीं चाहते।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 07:02 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 07:07 AM (IST)
सुझाव पर अमल नहीं हुआ तो जारी रहेगा एफडीआइ का विरोध

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। स्वदेशी जागरण मंच संघर्ष वाहिनी के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा ने कहा कि हम दुनिया की शर्तों पर विकास नहीं चाहते। हम विदेशी पूंजी निवेश के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह किन क्षेत्रों में होना चाहिए, तय करना होगा जिससे समाज का बड़ा वर्ग बेरोजगार न हो। हमने सरकार को भी सात सूत्री सुझाव पत्र दिया है। इन पर अमल कर अगर एफडीआइ को लाया जाता है तो हम सरकार के इस कदम का स्वागत करेंगे अन्यथा हमारा विरोध जारी रहेगा।

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ओझा रविवार को तुलसी भवन बिष्टुपुर में स्वदेशी जागरण मंच संघर्ष वाहिनी की राष्ट्रीय बैठक के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, जो कार्य मोहम्मद बिन कासिम से लेकर लार्ड माउंटबेटन तक नहीं कर पाए, उसे पंडित नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने के तीन साल के अंदर कर दिखाया। 1951 में भारत पहली बार 32 करोड़ का कर्जदार बन गया। 1954 में जो पहली आर्थिक नीति बनी, वह भारतवर्ष के लिए घातक साबित हुई। तब से लेकर आज तक की सरकारें उसी नीति पर कार्य करती रहीं और देश का आर्थिक नुकसान होता रहा।

उन्होंने भारतवर्ष के अर्थशास्त्रियों का आह्वान करते हुए कहा कि नया अर्थशास्त्र लिखें और बने बनाए ढर्रे पर चलने वाले अर्थशास्त्र को बदल दें।


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