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टाटा के ताज में नया हीरा 'नोएल'!

माधव, जमशेदपुर: टाटा समूह से साइरस मिस्त्री रुखसत कर दिये गये। अब अगला चेयरमैन कौन, यह सवाल

By Edited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 02:48 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 02:48 AM (IST)
टाटा के ताज में नया हीरा 'नोएल'!

माधव, जमशेदपुर: टाटा समूह से साइरस मिस्त्री रुखसत कर दिये गये। अब अगला चेयरमैन कौन, यह सवाल अगले चार महीने तक ग्रुप को मथता रहेगा। दौड़ में फिर कई नाम आएंगे। समूह ने खोज समिति गठित कर दी है। 2012 में जब साइरस मिस्त्री समूह के मुखिया बने थे, तब रेस में रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा भी थे। 57 वर्षीय नोएल टाटा परिवार से होने के अलावा पलोन जी मिस्त्री के दामाद भी हैं। नोएल की शादी साइरस मिस्त्री की बहन अलू से हुई है। एक बार फिर नजरें नोएल टाटा पर हैं।

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रतन टाटा की ही तरह नोएल टाटा भी अंतर्मुखी व्यक्तित्व के हैं। सुर्खियों से दूर रहते हैं। उन्हें फोकस में रहना पसंद नहीं है। इतने बड़े परिवार से आने के बाद भी नोएल ने अपनी पहचान मृदुभाषी, साधारण कपड़े पहनने वाले और लो-प्रोफाइल व्यक्ति के तौर पर बनाई है। नोएल ने हमेशा से ही टाटा संस के चेयरमैन पद के लिए अनिच्छा जताई। 2012 में उन्हें यह बात पहले से पता थी कि चेयरमैन चयन के लिए बनी समिति के सदस्यों में साइरस मिस्त्री भी हैं और वे इस पद के दावेदारों में से भी एक हैं। साइरस मिस्त्री के चेयरमैन बनते ही उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में नोएल टाटा थे। नोएल टाटा टाटा समूह के अंतरराष्ट्रीय परिचालनों के प्रमुख भी हैं व समृद्ध कारोबारी अनुभव रखते हैं। 2012 में तो नोएल टाटा के शुभेच्छुओं ने टाटा के पक्ष में अगल से वेबसाइट बना डाली थी और इसपर उन्हें चेयरमैन बनाने के लिए मुहिम छेड़ दी थी। नोएल टाटा के चाहने वाले इसे उनकी अनधिकृत वेबसाइट बताते थे। इसपर यह सवाल पूछा गया था कि क्या नोएल टाटा को टाटा समूह का नया मुखिया बनाया जाएगा। साइरस मिस्त्री के टाटा समूह का नया प्रमुख बन जाने के बाद तक वोटिंग होती रही थी। 80 फीसदी लोगों ने कहा था कि नोएल को ही अगला मुखिया होना चाहिए। नोएल का प्रोफाइल शानदार है। ब्रिटेन व फ्रांस में पढ़े-लिखे हैं। 12 सालों तक ट्रेंट की कमान संभाली। अपनी बड़ी प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले ट्रेंट(टाटा समूह की कंपनी) मुनाफे में रहने वाला रिटेल कारोबार है और उसने टेस्को से गठजोड़ भी कर रखा है। नोएल को हमेशा से शांत चित्त व्यक्ति और सतत प्रदर्शन करने वाले के तौर पर जाना गया है। हालाकि उनकी यह भी कोशिश रही है कि समूह मुनाफेदार नये कारोबार से भी जुड़ता रहे। जून 2011 में टाटा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक बनने के बाद से ही उन्होंने फुटवेयर रिटेलिंग में हाथ आजमाया, निर्यात को बढ़ाया और अधिग्रहण पर जोर दिया।

एक और खास बात यह कि उनके नाम के साथ टाटा भी जुड़ा हुआ है। उनको शापूरजी पलोनजी परिवार का समर्थन भी मिलेगा। ऐसे में रतन टाटा पर जिम्मेदारी होगी कि वह समूह में बढ़ी भूमिका के जरिये नोएल टाटा को तैयार करें। नोएल टाटा के विपक्ष में तर्क दिया जाता रहा है कि उनके पास अभी अपेक्षित एक्सपोजर नहीं है। चेयरमैन पद संभालने के पूर्व रतन टाटा की भी यही स्थिति थी। रतन टाटा को टाटा समूह का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद एक के बाद एक बड़ी कंपनियों के बोर्ड में शामिल किया गया था ताकि समय बीतने पर जब वे समूह के मुखिया का पद संभालें तो उनके पास अच्छा अनुभव रहे। टाटा समूह के अब तक सात चेयरमैन रहे। ये सभी पारसी समुदाय के थे।


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