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जानिए कौन है आयुषी जिससे मिलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड यात्रा के क्रम में कोल्हान की आयुषी से भी मिलेंगे। इसकी वजह कुछ खास है। कोल्हान के ही सिंगरी समद से भी प्रधानमंत्री की मुलाकात होगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 12:02 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 12:02 PM (IST)
जानिए कौन है आयुषी जिससे मिलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जानिए कौन है आयुषी जिससे मिलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

जमशेदपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड यात्रा के क्रम में कोल्हान की आयुषी से भी मिलेंगे। इसकी वजह कुछ खास है। कोल्हान के ही सिंगरी समद से भी प्रधानमंत्री की मुलाकात होगी। आइए जानिए क्यों प्रधानमंत्री से मिलने के लिए कोल्हान के इन दो लोगों का चुनाव हुआ है।

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दरअसल, आयुषी और सिंगरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्‍वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना के लाभुक हैं। आयुषी सरायकेला-खरसावां जिले के बासुरदा गांव की है जबकि सिंगरी पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला के दीघा गांव के। आयुष्मान भारत योजना के तहत जमशेदपुर के सदर अस्पताल में आयुषी का जन्म हुआ था। वह योजना का लाभ उठाने वाली पहली बेटी है। इसलिए परिजनों ने उसका नाम आयुषी रख दिया। उसका जन्म 23 सितंबर 2018 को हुआ था। अब वह साढ़े चार माह की हो चुकी है।

जन्म के बाद मां की गाेद में बच्ची।

ट्यूमर कैंसर से पीडि़त था सिंगरी

सिंगरी समद पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर से ग्रस्त था। ये ट्यूमर इतने लंबे समय व बड़े आकार का हो चुका था कि ये कैंसर में तब्दील हो गया था, जिसका ऑपरेशन करना काफी जटिल था। ट्यूमर मरीज के चेहरे से भी बड़ा आकार का हो चुका था। यह ट्यूमर भारत के दूसरे सबसे बड़ा पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर कैंसर था। इस ट्यूमर का आकार 20 गुणा 15 सेंटीमीटर था। वजन करीब तीन किलो। जबकि देश का पहला सबसे बड़ा पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर का सर्जरी कर्नाटक में हुआ था। उसका आकार 25 सेंटीमीटर गुणा 18 सेंटीमीटर था, जबकि देश के दूसरा सबसे बड़ा ट्यूमर झेल रहे सिंगरी की सर्जरी आयुष्मान योजना के तहत ब्रह्मानंद अस्पताल में की गई थी।

23 साल से ट्यूमर लेकर भटक रहा था सिंगरी

ऑपरेशन से पहले और बाद सिंगरी समद।

सिंगरी 23 साल से ट्यूमर लेकर इधर से उधर भटक रहा था। उसकी उम्र जब 15 साल की था तभी उसके कान के नीचे एक छोटा सा ट्यूमर निकल आया था। इसके बाद वह लगातार बढ़ता गया और अब तीन किलो का पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर हो चुका था। सिंगरी बताता है कि प्रधानमंत्री का पत्र (गोल्डन कार्ड) नहीं मिलता तो शायद उसका इलाज नहीं हुआ होता। सिंगरी बीते कई सालों से इलाज के लिए रांची, कोलकाता सहित अन्य जगहों पर गए लेकिन हर जगह पैसा बाधा बनी। सिंगरी किसान है।

ट्यूमर की वजह से कुंवारा रह गया सिंगरी

सिंगरी की अबतक शादी नहीं हो सकी है। वह कहता है कि ट्यूमर का आकार इतना बड़ा था कि हर कोई देखकर भाग जाता था। डर के मारे कोई मेरे पास नहीं आता था। रिश्ता लेकर कई लोग आए लेकिन हर बार ट्यूमर बाधा बना।  


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