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सीएसआइआर के महानिदेशक बोले, तीन साल में देशभर में उड़ान भरेंगे स्वदेशी विमान

छोटे शहरों को विमान सेवा से जोडऩे की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। इसमें अहम भूमिका स्वदेशी सारस विमानों की होगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:45 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 03:19 PM (IST)
सीएसआइआर के महानिदेशक बोले, तीन साल में देशभर में उड़ान भरेंगे स्वदेशी विमान
सीएसआइआर के महानिदेशक बोले, तीन साल में देशभर में उड़ान भरेंगे स्वदेशी विमान

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  छोटे शहरों को विमान सेवा से जोडऩे की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। इसमें अहम भूमिका स्वदेशी सारस विमानों की होगी। 17 व 19 सीटर सारस विमानों का सघन ट्रायल चल रहा है। सुरक्षा को लेकर हर दृष्टिकोण से जांच की जा रही है। तीन से लेकर अधिकतम चार साल के अंदर ये विमान यात्री सेवा के लिए तैयार होंगे।

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काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के महानिदेशक व भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (डीएसआइआर) के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे का यह कहना है। जमशेदपुर के बर्मामाइंस स्थित सीएसआइआर- एनएमएल पहुंचे महानिदेशक ने बताया कि सारस विमान छोटे विमानतल से उड़ान भरने व उतरने में काफी कम समय लेते हैं। एटीआर व डोरनियर के मुकाबले 25 प्रतिशत कम लागत मापी गई है। उन्होंने कहा कि देश की 37 सीएसआर प्रयोगशालाओं में तमाम जनोपयोगी शोध कार्य हो रहे हैं।

टीबी, टाइप टू डाइबिटीज की रोकथाम को चल रहा शोध

महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने बॉयोलोजिकल रिसर्च के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया कि देश में टीबी व टाइप टू डाबिटीज की समस्या काफी है। इसकी रोकथाम के लिए शोध काफी सकारात्मक दिशा में है। हैदराबाद, दिल्ली की आइजीबीआइ के साथ मिलकर काफी कुछ काम हुआ भी है।

पहले से पहचान हो जाए तो जेनेटिक बीमारियों की रोकथाम भी संभव

डॉ. शेखर मांडे ने बताया कि जेनेटिक बीमारियों की रोकथाम भी संभव है। इसपर भी काफी काम हो रहा है। जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में सिकलसेल एनीमिया की समस्या काफी है। सीएसआइआर ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों का सर्वे कराया है और इस समस्या से रोकथाम की संभावना बन रही है। जैसे मान लीजिए कि किसी खास पदार्थ के सेवन से बीमारी बढऩे की बात पता चले तो उसका सेवन बंद कर देने से समस्या दूर हो सकती है।

अरोमा मिशन से बदल रही किसानों की स्थिति

महानिदेशक ने बताया कि सीएसआइआर की ओर से संचालित अरोमा मिशन काफी कारगर साबित हो रहा है। लेमन ग्रास जैसे अनुपयोगी माने जा रहे वनस्पतियों से सुगंधित तेलों का उत्पादन संभव हुआ है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान लेमन ग्रास व अन्य वनस्पतियों से सुगंधित तेलों का उत्पादन कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। ये तेल अबतक आयात किए जाते रहे हैं। 


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