इस सरकारी स्कूल में है बिना सरकारी मदद के निजी स्कूलों जैसी सुविधा
पूर्वी सिंहभूम का एकमात्र सरकारी स्कूल जहां होती है ई-लर्निग से पढ़ाई। राज्य के प्राथमिक विद्यालयों के लिए बना उदाहरण।

जमशेदपुर, [वेंकटेश्वर राव] । अमूनन सरकारी स्कूलों, यहां की व्यवस्था और शिक्षकों पर नकारात्मक खबरें ही मीडिया में छपती रही हैं। लेकिन इससे इतर एक ऐसा सरकारी विद्यालय भी हैं जो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधा मुहैया कराता है। शिक्षक भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में जुटे हैं, वह भी बिना किसी सरकारी मदद के।
पूर्वी सिंहभूम जिला के सोनारी स्थित महतोपाड़ा प्राथमिक विद्यालय जो राज्य के प्राथमिक स्कूलों के लिए उदाहरण बना है। यह विद्यालय काफी छोटी जगह में स्थित है लेकिन स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है। विद्यालय की स्थापना 1988 में हुई थी। तब तिरपाल टांग कर बच्चों को पढ़ाया जाता था। वर्ष 2007 में स्कूल में शिक्षक के रूप में सुनील कुमार ने योगदान दिया, इसके बाद से स्कूल लगातार आगे बढ़ता गया। पक्का भवन बना। वर्ष 2008 में सुनील कुमार प्रभारी प्रधानाध्यापक बनें।
उन्होंने सबसे पहले स्कूल का शैक्षणिक माहौल बदलने के लिए लगातार अभिभावकों के साथ बैठक की। बिना सरकार के निर्देश के ऐसी कई पंजियां बनाईं जो सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में नहीं होती हैं। जिसमें छात्रों के नामांकन का ब्योरा पूरी तरह डाटा के साथ उपलब्ध है। वर्ष 2010 से सभी छात्रों का पूर्ण ब्योरा इस विद्यालय के दस्तावेज में मौजूद है। स्कूल में ई-लर्निग सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। जिसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इसके लिए स्कूल की कक्षाओं को सुंदर बनाया गया है। प्रोजेक्टर व स्क्रीन लगाई गई। प्रोजेक्टर चिप के सहारे चलता है। जिसके जरिए बच्चों को खेल-खेल में सारी जानकारी दी जाती है।
शौचालय बना हुआ है। जिसे दिन में तीन से चार बार सफाई कर स्वच्छ रखा जाता है। इन दोनों कार्य के लिए प्रधानाचार्य ने इनर व्हील क्लब की मदद ली है। वहीं बिजली कनेक्शन भी है। इसमें भी सरकारी पैसा नहीं लगा है। स्कूल की हर कक्षा में इलेक्टि्रक की वायरिंग, लाइट व फैन लगे हुए हैं। स्कूल के शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने में सहायक शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह, पारा शिक्षिका संध्या कुमारी, ऊषा डे हरवक्त जुटीं रहती हैं। बकौल प्रधानाध्यापक स्कूल में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए अपने वेतन का एक हिस्सा स्कूल के विकास में खर्च करते हैं।
शिक्षा के स्तर को देखते हुए यहां कई स्वयंसेवी संस्था व समाजसेवी सहयोग करने को तत्पर रहते हैं। स्कूल में टाटा स्टील के एमडी की विशेष अनुशंसा पर जुस्को के पानी का कनेक्शन भी है। मालूम हो कि विद्यालय में के जी से लेकर कक्षा पांच तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 107 है, उपस्थिति रोजाना 90 फीसद रहती है। स्कूल में सरकार के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाता है, इसका प्रमाण संबंधित रजिस्टर है।
सरकारी निर्देश के बगैर स्कूल में हो रहे ये कार्य
बच्चों का संपूर्ण प्रोफाइल, आगत व निर्गत पंजी पूर्ण विवरण के साथ।
प्रत्येक शनिवार को सत्य साई सेवा समिति द्वारा नैतिक शिक्षा का पाठ बच्चों को पढ़ाया जाता है।
सभी शिक्षक सप्ताह में एक बार बैठकर समस्याओं पर गंभीरता से विचार करते हैं।
आदेश सूचना पंजी में कहां-कौन शिक्षक जा रहा है, उसका आदेश लिखित में दिया जाता है।
पुस्तकालय पंजी में वर्ष 2010 से अपडेट किया हुआ है। कौन छात्र कब पुस्तक लौटा रहे हैं कब ले जा रहे हैं। पूर्ण विवरण इस पंजी में उपलब्ध है।
जुस्को के पानी का कनेक्शन वर्ष 2011 से है तथा बिजली का कनेक्शन 25 मई 2015 से हैं। इसके लिए सरकार के स्तर से अभी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
औसतन हर साल छात्रवृत्ति की राशि को पूर्ण विवरण के साथ लौटाया जाता है।
स्कूल में बच्चों का नामांकन एडमिशन फार्म के माध्यम से लिया जाता है।
शिक्षक-अभिभावक कोष का गठन शिक्षा सचिव आराधना पटनायक की प्रेरणा से किया गया है। इससे भी विद्यालय के शैक्षणिक विकास में समय-समय पर राशि खर्च की जाती है। यह कार्य वर्ष 2015 से हो रहा है।
विद्यालय के नाम पर 22 हजार रुपये की राशि बैंक में फिक्स डिपॉजिट है।-
स्कूलों को सरकारी निर्देश की अपेक्षा न करते हुए शैक्षणिक विकास के लिए आवश्यक कदमों को अपने स्तर से उठाया जाना चाहिए। इससे ही शिक्षक की असली पहचान होती है। छात्र, अभिभावक, समाज में तब जाकर शिक्षक के प्रति विश्वास जगता है।
-सुनील कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक, महतोपाड़ा प्राथमिक विद्यालय, सोनारी।
जब सुबह स्कूल खुलता है, तब सभी छात्र शिक्षकों के मार्गदर्शन में स्कूल की सफाई करते हैं। इसके बाद शिक्षक उन्हें रोचक तरीके से पढ़ाते हैं। बच्चे भी प्रोजेक्टर से पढ़ाई होने के कारण कक्षा को छोड़ना नहीं चाहते। -

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।